इस ब्लॉग में जानेंगे “हिस्टीरिया बीमारी क्या है? जाने इसके कारण, लक्षण और निवारण “
हिस्टीरिया बीमारी क्या है?
हिस्टीरिया (Hysteria) एक मानसिक बीमारी है। यह न्युरोसिस (Neurosis) की एक किस्म है। इस रोग में रोगी को मिर्गी के दौरे की तरह दौरे पड़ते हैं। हिस्टीरिया में रोगी अचेत अवस्था में पहुंच जाता है और फिर अजीब अजीब सी हरकतें करने लगता है। पहले जमाने में इस रोग को बहुत बुरा माना जाता था। जिसको यह रोग होता था लोग उससे दूर भागते थे।
लोगों में अफवाह थी कि इस पर भूत है। वे डरते थे कि कहीं इसका साया अन्य लोगों पर ना पड़े। लोग ऐसा कहते थे कि व्यक्ति पर जिन या भूत का साया है।
हिस्टीरिया (Hysteria) के रोगियों के साथ लोग अजीब तरह का व्यवहार करते हैं। उनसे दूर भागते हैं और उन्हें बाबा या मौलवी के पास ले जाकर इलाज करवाते हैं क्योंकि यह बीमारी हर रोगी में अलग अंदाज से जाहिर होती है। इसीलिए लोगों को इसे समझने में दिक्कत आती है और वह इसे भूत या जिन से मिला देते हैं।
बहुत से लोग तो इसको एक नाटक समझते हैं और कहते हैं कि रोगी नाटक कर रहा है। लेकिन असल में उसकी इस हालत का उस पर कुछ नियंत्रण नहीं होता है। रोगी बेबस हो जाता है और जो हरकते वह करता है उसका अंदाजा उसे खुद भी नहीं होता।
मेडिकल साइंस ने खूब तरक्की की है जिसके नतीजे में यह बातें सामने आई है कि हिस्टीरिया नामक बीमारी एक मानसिक बीमारी है। मेडिकल साइंस ने इस बात को भी बताया है कि इस बीमारी को कन्वर्जन डिसऑर्डर (Conversion Disorder) कहते हैं।
यह बीमारी अपने साथ बेशुमार बीमारियों के लक्षण रखती है। जब हमारा मस्तिष्क हालात को कुबूल नहीं कर पाता और उस से बचने का कोई रास्ता नहीं निकाल पाता तो मस्तिष्क में चिंता उत्पन्न होने लगती हैं। चिंता के कारण ही हिस्टीरिया का रोग होता है। इसलिए इसका इलाज यही है कि ऐसे व्यक्ति को चिंता से मुक्त रखा जाए।
हिस्टीरिया के रोग में नर्वस सिस्टम (Nervous System) में विकृति (Distortion) होने लगती है। यह बीमारी महिला और पुरुष दोनों में हो सकती है, परंतु स्त्रियों पर यह ज्यादा प्रभाव डालती है। 15 से 25 साल की युवतियों में यह बीमारी ज्यादा देखने को मिलेती है।
इस बीमारी में रोगी को मिर्गी की तरह ही दौरे पड़ते हैं, परंतु मिर्गी और हिस्टीरिया की बीमारी दोनों अलग-अलग होती हैं।
हिस्टीरिया का रोग ज्यादातर बिना शादीशुदा लड़कियों में चरम सीमा तक पहुंच जाता है। आयुर्वेद में इस बीमारी को योषापस्मार कहां जाता था। समय के साथ भी हिस्टीरिया का रोग हो सकता है।
हिस्टीरिया बीमारी का लक्षण क्या है?
- दौरे पड़ना
- अजीब अजीब व्यवहार करना
- कुछ देर या लंबे समय तक बेहोश हो जाना
- मुट्ठी बंद हो जाना
- कंपकपी होना
- सांस लेने में दिक्कत आना
- कुछ निगलते समय ग ले में अटकना
- जोर-जोर से चिल्लाना
- बिना बात के हंसना या रोना
- शरीर का सुन्न हो जाना
- बदन में ऐठन होना
- शरीर में दर्द होना
- दातों का भिज जाना
- बोलने की ताकत ना रहना
- थरथराहट महसूस होना
- थोड़े समय के लिए बहरापन आ जाना
- चेतन अवस्था से अचेतन अवस्था में पहुंच जाना
- कुछ देर के लिए देखना या सुनना बंद हो जाना
- थोड़े समय तक मुंह से आवाज ना निकल पाना
- शरीर का कोई हिस्सा सुन्न पड़ जाना ऐसा जैसे लकवे में होता है
- आलस आना
- किसी काम में दिल ना लगना
- चिड़चिड़ापन रहना और बहुत गुस्सा आना
- बहुत ज्यादा चिंता करना
- गले में कुछ अटकना
- रात में बिना बात के जागना
- सूरज की तरफ देखने में परेशानी होना
- गला सूखने लगना
- चेहरे की आकृति बिगड़ जाना
- सुबह देर तक सोते रहना
- गर्दन अकड़ जाना
- थकावट महसूस करना
- डकार ज्यादा आना
- दम घुटना
- भ्रम होना
- बिना बात के बड़बड़ाना
- बहुत ज्यादा ताकत आ जाना फिर थोड़ी देर के बाद शरीर का बेजान हो जाना
- आसपास के लोगों को मारने पीटने लगना
- बार-बार पेशाब आना
हिस्टीरिया का कारण
यह एक मानसिक रोग है। इस रोग में मनुष्य के मस्तिष्क की कोशिकाएं विकृत (Cell deformity) हो जाती हैं। यह रोग ज्यादातर चिंता करने के कारण ही होता है। यदि चिंता की समस्या हल कर दी जाए तो यह समय के साथ खुद ब खुद सही हो जाता है। इसीलिए उन कारणों को दूर करिए जिसके कारण व्यक्ति को चिंता है। जब भी आपके परिवार में या दोस्तों में किसी को इस तरह के दौरे पड़े तो आपको चाहिए कि डॉक्टर से संपर्क करें और उसका नियमित तौर पर अच्छे से इलाज करवाएं। अन्यथा बार बार दौरे आने की वजह से रोगी को और उसके आसपास के लोगों को नुकसान पहुंच सकता है।
हिस्टीरिया (Hysteria) के रोग के कारणों के बारे में कुछ बातें, वैसे तो इस दुनिया में हर दूसरा व्यक्ति चिंता, अवसाद जैसी मानसिक बीमारी से पीड़ित है। हर एक को ही चिंता का रोग है, परंतु किसी किसी व्यक्ति का रोग इतना बढ़ जाता है कि वह बीमारी की शक्ल ले लेता है। जब कोई व्यक्ति अपने वातावरण को जैसा वह उसे वैसा ही कुबूल नहीं कर पाता और ना ही उस वातावरण से बचने का कोई रास्ता उसके पास होता है तो यह बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है:
- देर में शादी होना
- बांझपन
- तलाक
- पति का दुर्व्यवहार
- पति पत्नी के लड़ाई झगड़े
- मौत का गंभीर आघात होना
- धन में नुकसान होना
- दिल में डर बैठ जाना
- प्रेम का ना मिला
- प्रेमी से बिछड़ जाना
- परिवार में तालमेल ना बैठना
- अवसाद, चिंता व तनाव
- शाक हो जाना
- अश्लील फिल्म देखना
- काम वासना का पूरा ना होना
- श्र्वेस प्रदर (white discharge) की शिकायत होना
- शारीरिक और मानसिक श्रम नहीं कर पाना
- आराम पसंद जीवन व्यतीत करने की कामना रखना
- असुरक्षा की भावना उत्पन्न होना
- आर्थिक अवस्था का बिगड़ जाना
- अश्लील साहित्य पढ़ना
- गर्भाशय का रोग
- कब्ज़ रहना
- मानसिक धर्म विकार
- औलाद की कामना करना परन्तु औलाद ना होना
- भोग विलास का जीवन व्यतीत करना
हिस्टीरिया में इन चीजों का प्रयोग करें
- घी का प्रयोग अपने खाने में करें और उसके साथ-साथ उससे अपने शरीर पर मालिश करें और उसे नाक में भी डालें
- गाय के दूध का सेवन करें
- नारियल के पानी का इस्तेमाल करें
- दूध में शहद मिलाकर पिए
- दूध को किशमिश के साथ लें
- आंवले का मुरब्बा सुबह शाम खाने में ले
- पपीता
- अंजीर
- खीरा
- मौसंबी
- संतरा
- अनार
- बेल
- खाने में गेहूं के आटे से बनी हुई रोटी का ही प्रयोग करें
- अपने आहार में चावल को शामिल करें
- दलिए का इस्तेमाल हर रोज करें
- दालों में मूंग की और मसूर की दाल का सेवन करें
हिस्टीरिय में कुछ चीजों के सेवन से बचें
- बासी खाने से परहेज करें ज्यादातर कोशिश करें की ताजा खाना ही खाएं
- अपने आहार में हल्के खाने को रखें भारी खाने से परहेज करें
- चटपटा मसालेदार खाने से बचें
- चाय का प्रयोग ना करें
- कॉफी ना पिए
- शराब
- तंबाकू
- गुटखा
- सिगरेट
- नशीली पदार्थ का सेवन ना करें। क्योंकि यह व्यक्ति के मस्तिष्क में चिंता को बढ़ाता है और हमें उन चीजों का प्रयोग नहीं करना है जो चिंता का अवसाद का कारण बने, बल्कि ऐसी चीजों का प्रयोग करना है जो चिंता को कम करे
- गुड ना खाएं
- तेल का इस्तेमाल बहुत कम करें
- खटाई ना खाएं और खटाई का प्रयोग खाने में करने से बचें
- अचार ना खाएं
- गोश्त
- मछली
- अंडा से परहेज करें
हिस्टीरिया बीमारी का इलाज क्या है?
- हिस्टीरिया का सबसे सही इलाज यही है कि उन कारणों को दूर रखा जाए जिसके वजह से यह बीमारी हो सकती है।
- ज्यादातर कोशिश करें कि रोगी को खुश रखें। उस पर गुस्सा ना करें।
- रोगी से अच्छे से बातें करें
- उसकी बातों को अहमियत दें और उसकी बातों को सुनें
- हिस्टीरिया (Hysteria) के मरीज़ के आसपास के लोगों को सकारात्मक विचार रखना चाहिए जहां तक हो सके व्यक्ति को नकारात्मक दृष्टिकोण और चीजों से दूर रखें।
- दौरे के बाद रोगी के शरीर में तेल से अच्छी तरीके से मालिश करें ताकि खून का दौरान शरीर में तेज हो जाए और व्यक्ति के दर्द में कमी आ जाए
- रोगी को मनोचिकित्सक के पास ले जाएं
- इसका इलाज काउंसिलिंग के जरिए से भी हो सकता है
- मेडिकल में बहुत सारी ऐसी दवाएं भी आ गई है जो इस बीमारी को खत्म कर सकती हैं
- परंतु वक्त के साथ-साथ अगर चिंताएं खत्म होने लगती हैं तो यह रोग भी ठीक हो जाता है
- रोगी को समझें। और उसकी परेशानी को सुलझाने की कोशिश करें
निष्कर्ष
हिस्टीरिया के रोग के बारे में पहले जमाने में बहुत सारी अफवाहें थी परंतु अब उन तमाम अफवाहों का जवाब मिल गया है। इस बीमारी को मानसिक बीमारी करार दिया जा चुका है। रोगी के चेतन या अचेतन मन में बहुत सारे विचार चल रहे होते हैं, जो किसी दबाव या तनाव के कारण बढ़ जाते हैं। यदि वह चिंताएं किसी भी तरीके से बाहर नहीं निकल पाती और वह अपनी भाओं में व्यक्त होती हैं, उसे हिस्टीरिया (hysteria) की बीमारी के नाम से जाना जाता है। यह रोग अपनी भावनाओं को दबाने के कारण होता है।
इस बात को हमेशा याद रखें कि हिस्टीरिया और मिर्गी यह दोनों एक दूसरे से अलग है। हालांकि दोनों ही में व्यक्ति को दौरे पड़ते हैं, परंतु दोनों के दौरे पड़ने में बहुत अंतर है। मिर्गी के रोग में व्यक्ति को अचानक दौरे पड़ते हैं। रोगी कहीं भी रास्ते, बस, सड़क, घर पर, किसी भी जगह गिर सकता है। उसके दांत भींच जाते हैं। जबान दांत के बीच में आ जाते हैं। शरीर एंठने लगता है। व्यक्ति बेहोश हो जाता है।
परंतु हिस्टीरिय के दौरे में ऐसा नहीं होता। इसमें दौरे पड़ने से पहले व्यक्ति को मालूम हो जाता है। वह किसी भी सुरक्षित जगह पर लेट सकता है। दौरे आने के समय उसके होंठ और जबान दातों के बीच में भिच नहीं पाते।
हिस्टीरिया के दौरे पड़ने पर व्यक्ति अजीब अजीब हरकतें करता है। वह चेतनावस्था से अचेत अवस्था में पहुंच जाता है। कई बार तो बेहोश हो जाता है और कभी कभी अपने आसपास के लोगों को मारना शुरू कर देता है।
बिना बात के ही बहुत चिल्लाता है और कभी रोने लगता है। वह गुमसुम बैठ जाता है मानें उसके शरीर में जान ही ना हो परंतु कभी-कभी वह बहुत तेज तेज हंसने लगता है। कई बार तो व्यक्ति के मुंह से आवाज निकलना भी बंद हो जाती है।
इन तमाम चीजों को देखकर उसके आसपास के लोग डर जाते हैं। इसका इलाज सिर्फ और सिर्फ डॉक्टर के पास ही होता है। ऐसे में रोगी से डरें नहीं और ना ही उससे दूर भागें। उसका ख्याल रखें। इस समय में रोगी को किसी के सहारे की सख्त जरूरत होती है। इस बात का ख्याल रखें कि उस पर किसी भी जिन, भूत, चुड़ैल का साया नहीं है। उसे किसी बाबा यह ढोंगी के पास ना ले जाएं।
आप अपने सवालों को कॉमेंट बॉक्स में लिखकर हमसे शेयर कर सकते हैं।