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क्या साइकोसिस (Psychosis) सच में एक गंभीर मानसिक समस्या है?

क्या साइकोसिस (Psychosis) सच में एक गंभीर मानसिक समस्या है?

इस ब्लॉग में जानिए “क्या साइकोसिस (Psychosis) सच में एक गंभीर मानसिक समस्या है?”

साइकोसिस / मनोविकृति क्या है? / Psychosis kya hai in hindi

साइकोसिस (Psychosis) जिसको मनोविकृति कहा जा सकता है। साइकोसिस का अनुभव काफी भयभीत करने वाला हो सकता है। साइकोसिस (Psychosis) एक प्रकार की गंभीर मानसिक स्थिति होती है जिसमें व्यक्ति को भ्रम या मतिभ्रम होने लगता है। इसके कारण व्यक्ति की सोच और उसकी वास्तविकता के बीच काफी अंतर आ जाता है। यह एक गंभीर मानसिक विकार का लक्षण होता है। 

साइकोसिस (Psychosis) से पीड़ित रोगियों में कई बार खुद को नुकसान पहुंचाने या दूसरों को नुकसान पहुंचाने से संबंधित खराब विचार आने लगते हैं। वे चाहकर भी इस विचार को अपने से दूर नहीं कर पाते। ऐसे विचारों का आना रोगी के खुद के लिए और दूसरों के लिए हानिकारक हो सकता है। अगर आप अपने संबंध में या परिवार में किसी को साइकोसिस से पीड़ित पाएं तो उसका इलाज जल्द से जल्द करवाएं और उसे मनोचिकित्सक के पास ले जाकर जांच करवाएं अन्यथा नुकसान उठाना पड़ सकता है। यह एक तरीके का जोखिम है।

साइकोसिस (Psychosis) के प्रकार / Psychosis ke prakaar in hindi

साइकोसिस (Psychosis) कई प्रकार का हो सकता है-

ब्रीफ साइकॉटिक डिसऑर्डर (Brief psychotic disorder)

इस तरह के साइकोसिस (Psychosis) में व्यक्ति को बहुत ज्यादा चिंता घेर लेती है। यह किसी भी व्यक्ति को ज्यादातर तनाव के कारण हो सकता है। अगर किसी व्यक्ति को गंभीर तनाव है जैसे उसके परिवार में किसी सदस्य की मौत हो गई हो या कोई ऐसा हादसा पेश आ गया हो जिसके कारण उस पर बुरा प्रभाव पड़ा है तो यह अत्यधिक तनाव का कारण बन सकता है। इससे भी साइकॉटिक डिसऑर्डर हो जाता है। इस डिसऑर्डर के हो जाने के बाद व्यक्ति कुछ हफ्तों या महीनों के अंदर ठीक हो सकता है। जैसे जैसे उनका तनाव कम होता जाएगा वे ठीक होते जाएंगे।

नशीले पदार्थ के संबंध से होने वाला साइकोसिस

जो लोग कोकीन या नशीली पदार्थ का सेवन करते हैं उनके सामने कुछ ऐसी चीज है आती है जो वास्तव में नहीं होती है परंतु उन्हें दिखाई देती है। यह एक तरीके का साइकोसिस (Psychosis) है।

अंग से संबंधित साइकोसिस (Psychosis)

अगर किसी व्यक्ति के सर पर चोट लगी हो, कोई ऐसी चोट हो जो कि खतरनाक है, व्यक्ति को कोई संक्रमण हो गया हो तो यह चीजें भी साइकोसिस बनने के लिए काफी हैं।

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साइकोसिस (Psychosis) के लक्षण / Psychosis symptoms in hindi

वैसे देखा जाए तो साइकोसिस के कई लक्षण होते हैं परंतु इसके दो बहुत ही खास लक्षण होते हैं भ्रम और मतिभ्रम। अब हम साइकोसिस के लक्षणों के बारे में कुछ चर्चा करेंगे और उसे पूरी तरीके से जानेंगे कि यह कैसे और क्यों होता है।

  1. साइकोसिस (Psychosis) के रोगियों को ध्यान केंद्रित करने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। वे आसानी से अपने ध्यान को केंद्रित नहीं कर पाते।
  2. कई बार साइकोसिस (Psychosis) के लक्षणों में यह भी आता है कि रोगियों में शक करने की आदत पैदा हो जाती है। उसे उसकी यह आदत इतना परेशान करती है कि वह अपने जीवन में दैनिक कार्य सही से नहीं कर पाता।
  3. अत्यधिक चिंतित रहना और नकारात्मक सोच रखना।
  4. साइकोसिस के लक्षणों में से एक लक्षण यह भी आता है कि साइकोसिस जिन व्यक्तियों को होता है वह ज्यादातर अकेले रहते हैं। उनकी उनके परिवार व संबंधियों से नहीं बनती।
  5. अक्सर देखा गया है कि जो लोग साइकोसिस से पीड़ित हैं वह बोलते बोलते अपने विषय को बदल देते हैं और जिस बात पर चर्चा कर रहे होते हैं उस से हट जाते हैं।
  6. खुदकुशी के विचार आना या खुदकुशी करना यह भी साइकोसिस के लक्षणों में आता है।

अब हम साइकोसिस के दो बड़े लक्षणों के बारे में चर्चा करेंगे

भ्रम (Misconception)

इस लक्षण में मरीज अपने कुछ विचार या भावनाएँ बना लेता है और उन्हीं भावनाओं को वह सत्य मानता है। कोई भी बात उसे समझाने पर उसकी समझ में नहीं आता। 

वह कहीं ना कहीं जो सोचता है उसे ही सत्य मानता है। कितना भी बताने के बावजूद वह इसे अपने मन से नहीं निकाल पाता। इस लक्षण में व्यक्ति को पागलपन की हद तक का भ्रम भी हो सकता है। इसके साथ-साथ उसे विचारों में अस्पष्टता और शरीर से संबंधित भ्रम भी हो सकते हैं। भ्रम के होने के कारण व्यक्ति को हमेशा ऐसा लगता है कि उसके पीछे कोई है जो उसका पीछा कर रहा है परंतु वास्तविक में ऐसा कुछ नहीं होता।

मति भ्रम (Hallucinations)

यह व्यक्ति का ऐसा काल्पनिक अनुभव होता है जो हकीकत में नहीं होता जैसे- उसे कोई चीज महसूस होती है या उसे किसी चीज की खुशबू महसूस होना परंतु उसका कोई वजूद नहीं होता। उसे लगता है कि वह गाना सुन रहा है परंतु कहीं गाना चल भी नहीं रहा होता। यह सब इसका काल्पनिक अनुभव ही होता है। कई बार तो उसे अकेले होने पर कई लोगों की आवाजें आती हैं हालांकि वे सब चीजें उसके मस्तिष्क के काल्पनिक अनुभव में से ही आ रही होती हैं। हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं होता।

साइकोसिस (Psychosis) के कारण / Causes of Psychosis in hindi

साइकोसिस होने का वैसे तो कोई खास कारण नहीं होता है लेकिन कुछ स्थितियों से ये हो सकता है। साइकोसिस (Psychosis) का हर मामला अलग होता है। इसीलिए किसी भी स्पष्ट कारण का पता लगाना बहुत ज्यादा मुश्किल होता है। कई सारी ऐसी बीमारियां भी होती हैं जो साइकोसिस का कारण बन जाती हैं। आइए जानते हैं साइकोसिस (Psychosis) के कारणों के बारे में।

इसके अलावा साइकोसिस निम्न कारणों से भी हो सकता है-

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साइकोसिस का इलाज / Psychosis treatment in hindi

साइकोसिस (Psychosis) का इलाज थेरेपी और दवाओं के द्वारा किया जा सकता है। अगर हम रोगियों का इलाज सही ढंग से करवाएं तो उनके सही होने की संभावना बहुत हद तक बढ़ जाती है। दवाओं और थेरेपीज़ के जरिए भी साइकोसिस से पीड़ित रोगी सही हो जाते हैं।

साइकोसिस से ग्रस्त रोगियों को काबू में करने के लिए उन्हें एक तरीके का इंजेक्शन दिया जाता है जिसको रेपिड ट्रैंक्विलाइजेशन (rapid tranquilisation) कहा जाता है क्योंकि साइकोसिस के रोगी अचानक से उत्तेजित हो जाते हैं। वे खुद को या दूसरों को चोट पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं। ऐसे मामलों में साइकोसिस के रोगियों को जितना जल्दी हो सके शांत करना जरूरी होता है। 

मरीज के उत्तेजित होने की स्थिति में डॉक्टर मरीज को तुरंत शांत करने वाला इंजेक्शन देते हैं जिससे मरीज शांत हो जाता है।

साइकोसिस (Psychosis) के लक्षणों पर नियंत्रण पाने के लिए कुछ दवाओं का प्रयोग किया जाता है जिसके जरिए हम साइकोसिस रोगी पर काबू कर सकें। साइकोसिस के लक्षणों पर नियंत्रण करने के लिए जिन दवाओं का उपयोग किया जाता है उनको एंटीसाइकोटिक्स कहा जाता है। इन दवाओं के द्वारा रोगियों के भ्रम और मतिभ्रम को कम किया जा सकता है। इससे व्यक्ति को सही ढंग से और अधिक स्पष्ट रूप से सोचने में मदद मिलती है। 

साइकोसिस के लक्षणों पर नियंत्रण पाने के लिए रोगियों को कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (Cognitive Behavioural Therapy) भी दी जाती है। कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी एक ऐसी थेरेपी है जिसमें रोगियों के मानसिक स्वास्थ्य को उत्तम बनाने की कोशिश की जाती है। इस थेरेपी में रोगी से बात की जाती है। मरीज के साथ बात करने का खास मकसद होता है कि मरीज की सोच और उसके व्यवहार में सही ढंग से बदलाव किया जा सके। कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी साइकोसिस से पीड़ित व्यक्तियों की सोच में स्थायी रूप से परिवर्तन करने और उनकी बीमारी को अच्छे से नियंत्रण करने में मदद करने के लिए बहुत ही ज्यादा लाभदायक साबित हुई है। इस थेरेपी के द्वारा साइकोसिस से पीड़ित रोगियों के ऐसे लक्षणों में सुधार करने में भी मदद मिलती है जिन पर दवाएं पूरी तरह से काम नहीं कर पाती।

निष्कर्ष / Conclusion

यह बात तो खुलकर सामने आ गई है कि साइकोसिस (Psychosis) एक ऐसी बीमारी है जिसका संबंध मस्तिष्क से होता है। इसमें व्यक्ति को भ्रम होता है। भ्रम होना एक साधारण सी बात मालूम होती है परंतु जब यही भ्रम इतना ज्यादा बढ़ जाए कि उसमें और वास्तविकता में कोई अंतर ना रहे, यहां तक कि भ्रम ही को रोगी वास्तविकता मानने लगे, तो ये बात काफ़ी ख़तरनाक हो सकती है। 

साइकोसिस (Psychosis) से पीड़ित रोगी को उसकी जीवन शैली में बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। साइकोसिस के रोगियों में भ्रम इतना बढ़ जाता है कि वह अपने आसपास के लोगों को अपना दुश्मन मानने लगता है, जो कि सही नहीं है। उसे हमेशा ऐसा महसूस होता है जो हकीकत में नहीं होता है। साइकोसिस (Psychosis) के कारणों और लक्षणों के बारे में यहाँ इस लेख में बताया जा चुका है। अगर हम इन बातों पर गौर करें तो हम इस से बच सकते हैं।

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  • हेलो दोस्तों, मैं हूँ नायला हाशमी। मैं साइकोलॉजी में ग्रेजुएट हूँ और मैंने काउंसलिंग में डिप्लोमा किया है। मैं मेंटल हेल्थ पर बात करना जरूरी समझती हूँ। मैं एक राइटर हूँ और हेल्थ और वेलनेस पर लिखती हूँ। मुझे लगता है कि किसी भी बात या जानकारी को आसान और सीधे तरीके से शेयर करना लोगों से जुड़ने का बेहतरीन तरीका है। मेरी कोशिश है कि मैं कॉम्प्लेक्स आइडियाज को आसान और रिलेटेबल बनाऊं।

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