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लम्पी स्किन डिजीज (लंपी त्वचा रोग) से संबंधित महत्वपूर्ण बातें

लम्पी स्किन डिजीज (लंपी त्वचा रोग) से संबंधित महत्वपूर्ण बातें

आजकल भारत में लम्पी नामक एक वायरस तेज़ी से जानवरों पर अपना क़हर दिखा रहा है। क्या आपको भी इससे संबंधित महत्वपूर्ण बातें पता हैं?

इस ब्लॉग में जाने “लम्पी स्किन डिजीज (लंपी त्वचा रोग) से संबंधित महत्वपूर्ण बातें”

लंपी वायरस का क़हर भारत के कई राज्यों में तेज़ी से फैलता जा रहा है जिससे कि अनेक निर्दोष पशुओं की मौत हो रही है। इस वायरस के कारण मवेशियों के शरीर पर गाँठे दिखाई देती हैं।

ये वायरस काफ़ी घातक माना जा रहा है। सरकारी रिपोर्ट के द्वारा प्रस्तुत किए गए आंकड़ों के अनुसार ये वायरस अब तक भारत के लगभग 67 हज़ार से अधिक मवेशियों की मौत का कारण बन चुका है। इसी के साथ साथ इस वायरस से अभी भी लाखों पशु संक्रमित हैं।

भारत का राजस्थान राज्य इस वायरस से सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाला राज्य है। ये बीमारी दिन प्रतिदिन घातक होती जा रही है और सरकार इस बीमारी से निपटने हेतु निरंतर प्रयास कर रही है। इस वायरस के प्रति जागरूकता बढ़ाने हेतु हम आज अपने लेख में लंपी वायरस से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर चर्चा करेंगे। तो आइए देखते हैं कि लंपी वायरस क्या है?

क्या है लम्पी वायरस और इसका क़हर?

वैसे तो आम भाषा में मवेशियों में फैलने वाली इस बीमारी को लंपी वायरस के नाम से जानते हैं। लंपी वायरस पॉक्सविरिडे नामक परिवार से जुड़ा हुआ है।

लम्पी वायरस का सबसे पहला प्रभाव दक्षिणी और उत्तरी अफ़्रीका में देखा गया था लेकिन आज एशिया सहित कई यूरोपीय देश भी इस वायरस की चपेट में आ चुके हैं।

भारत में लम्पी त्वचा रोग का सबसे पहला केस 23 अप्रैल को भारत के गुजरात राज्य में देखा गया था।

बाद में इस वायरस ने भारत के अन्य राज्यों जैसे मध्य प्रदेश, हरियाणा, जम्मू व कश्मीर, उत्तर प्रदेश, राजस्थान आदि को अपनी चपेट में ले लिया।

इस बात की भी पुष्टि हो चुकी है कि जानवरों में फैलने वाला ये वायरस तेज़ी से दूसरे जानवरों में पहुँच सकता है। इसी के साथ साथ ये जानवरों के लिए न सिर्फ़ घातक होता है बल्कि उनके लिए पीड़ादायक भी होता है।

लंपी वायरस से संबंधित याद रखने योग्य मुख्य बातें

भारत में लंपी वायरस का क़हर तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। इससे संक्रमित जानवर अन्य जानवरों को भी संक्रमित कर सकते हैं।

इस वायरस का कारक मच्छर को माना जाता है लेकिन ये खून चूसने वाले कीड़े और अन्य मक्खियों से भी फैल सकता है।

लम्पी स्किन डिजीज मुख्य रूप से गायों में अपना प्रभाव दिखाता है। ज़्यादातर इस वायरस के लक्षण गायों में पाए गए हैं लेकिन कुछ मामलों में भैसों को भी इस वायरस से पीड़ित देखा गया है।

जब गाय या भैंस को लंपी वायरस का संक्रमण हो जाता है तो ऐसे में वे कुछ विशिष्ट प्रकार के लक्षण भी दिखाते हैं।

इस वायरस से पीड़ित मवेशियों के शरीर पर गाँठ जैसी आकृतियाँ उभरने लगती हैं। इसी के साथ साथ मवेशी को बुख़ार भी आता है। रोग के गंभीर हो जाने पर जानवरों की मृत्यु हो जाती है।

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लम्पी स्किन डिजीज (लंपी त्वचा रोग) वैक्सीन

इस वायरस से छुटकारा पाने के लिए सरकार ने एक वैक्सीन भी मवेशियों को देने की योजना शुरू की है जिसे गॉट पॉक्स वैक्सीन (Goat Pox Vaccine) के नाम से जानते हैं।

ये वैक्सीन उन राज्यों को दी जा रही है जहाँ पर लंपी वायरस से संक्रमित जानवरों की संख्या का आंकड़ा काफ़ी से सामने आ रहा है।

सरकारी आंकड़ों के हिसाब से ये वैक्सीन इस बीमारी से लड़ने के लिए सौ प्रतिशत प्रभावी है।

लम्पी वायरस से जूझ रहे इलाकों में इस वैक्सीन की लगभग 1.5 करोड़ खुराक पहुँचाई जा चुकी है।

सिर्फ़ इतना ही नहीं बल्कि लम्पी स्किन डिजीज को मात देने के लिए भारत की कंपनियां भी कार्य कर रही हैं। भारत की दो कम्पनियों ने भी इस वायरस से लड़ने हेतु एक वैक्सीन बनायी है जिसे Lumpi-PLroVaclnd के नाम से जानते हैं।

ऐसा माना जा रहा है कि वैक्सीन बनाने वाली भारत की ये कंपनियां एक महीने में वैक्सीन की लगभग 4 करोड़ ख़ुराक बनाने की क्षमता रखती हैं। ऐसे में ये माना जा सकता है कि लंबी वायरस से मुक्ति हेतु भारत निरंतर प्रयास कर रहा है।

ये बात जान लेना बेहद आवश्यक है कि लम्पी स्किन डिजीज का मुख्य कारण एक प्रकार का वायरस है जिसे लंपी वायरस कहते हैं। हमने इस वायरस के परिवार का उल्लेख उपरोक्त पंक्तियों में किया है।

लंपी वायरस से संबंधित ये कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं जो हमें आवश्यक रूप से जान लेनी चाहिए। आइए अब इसी क्रम में हम लंपी वायरस के लक्षणों पर भी एक नज़र डालते हैं।

लम्पी स्किन डिजीज के लक्षण

लम्पी स्किन डिजीज से बचाव

चूँकि लम्पी स्किन डिजीज जानवरों के लिए एक घातक वायरस साबित हो रहा है इसलिए ये ज़रूरी है कि इस वायरस से जल्द से जल्द छुटकारा पाया जाए। लम्पी स्किन डिजीज से बचाव के लिए हम निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं-

पीड़ित जानवर को अलग करें

अगर आपके मवेशी लम्पी वायरस से संक्रमित हो गए हैं और उनके शरीर पर लम्पी वायरस के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो उस मवेशी को अन्य पशुओं से अलग कर दें। इसी के साथ साथ ये ध्यान रखें कि आप उसके रहने, खाने तथा समस्त प्रकार की सुविधा को बिलकुल अलग ही रहने दें।

यदि किसी मवेशी जानवर में लंपी वायरस का कोई भी लक्षण जैसे बुखार, आँखों से पानी बहना या शरीर पर दाने जैसी गाँठें बनना इत्यादी दृष्टिगोचर होता है तो ऐसे में तुरंत ही उस मवेशी जानवर को अन्य जानवरों से अलग करना सुनिश्चित करें। इससे अन्य जानवरों को इस घातक वायरस से बचाया जा सकता है।

कीटनाशक का छिड़काव करें

अपने घर के आस पास कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करें। जिस स्थान पर मवेशी जानवर रहते हैं वहाँ पर विशेष तौर पर कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव समय समय पर करते रहें। इससे संक्रमण की रोकथाम में मदद मिल सकती है।

ये बात ध्यान देने योग्य है कि लंपी वायरस का कारक मच्छर को माना गया है अर्थात लंपी वायरस को एक जानवर से दूसरे जानवर में पहुँचाने का ज़रिया मच्छरों और मक्खियों को माना गया है। ऐसे में अपने आस पास कीटनाशक का छिड़काव करके इन मच्छरों और मक्खियों को पनपने न दें। जिस स्थान पर भी मच्छरों के पनपने की संभावना हो वहाँ पर कीटनाशक का छिड़काव अवश्य करें।

मृत पशुओं को दफ़नाएँ

यदि कोई मवेशी जानवर लम्पी वायरस से संक्रमित होकर मृत्यु को प्राप्त हो गया है तो ऐसे में उस जानवर को खुले में न छोड़ें। संक्रमित जानवर को सदैव ज़मीन में दफ़ना दें। इससे संक्रमण बाहरी वातावरण में नहीं फैलेगा।

संक्रमित मवेशी के दूध का सेवन न करें

वैसे तो अभी लम्पी वायरस जानवरों से इंसानों तक नहीं आया है। इसका अर्थ यह है कि अब तक ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है जिसमें ये देखा गया हो कि लम्पी वायरस किसी संक्रमित जानवर से किसी मनुष्य में फैल गया हो। इसके बावजूद भी हमें सावधानी बरतनी है।

यदि कोई गाय या भैंस लंपी वायरस से संक्रमित है तो इन गायों और भैंसों के दूध का त्याग करें। संक्रमित गाय या भैंस के दूध का सेवन करने से ये वायरस फैल सकता है। इसी के साथ साथ ये ध्यान रखें कि बछड़ों को संक्रमित मवेशियों से दूर रखें और उन्हें दूध का सेवन न करने दें।

आजकल लंपी वायरस गाय और भैंसों में तेज़ी से फैल रहा है। हमारी आँखों के सामने यदि कोई मवेशी इस वायरस से संक्रमित होता है तो हम उसके दूध का त्याग कर देते हैं लेकिन यदि हम बाज़ार से दूध ख़रीद कर लाते हैं तो हमें ये पता नहीं रहता कि ये दूध संक्रमित मवेशी का है या साधारण।

ऐसी स्थिति में हम दूध को अच्छे से खौला कर ही इस्तेमाल कर सकते हैं। वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का कहना है कि बाज़ार से ख़रीदे गए दूध को सौ डिग्री सेंटीग्रेड तक गर्म करना चाहिए। इससे दूध में उपस्थित बैक्टीरिया और वायरस को ख़त्म करने में मदद मिलती है।

साफ़ सफ़ाई का ख़याल रखें

किसी भी प्रकार के वायरस या बैक्टीरिया के संक्रमण से बचने के लिए ये ज़रूरी है कि हम अपने आस पास सफ़ाई का विशेष ख़याल रखें। इसलिए अपने घर और जानवरों के रहने के स्थान के आस पास साफ़ सफ़ाई का बेहद ख्याल रखें।

इसी के साथ साथ ये देखते रहें कि कहीं आस पास किसी गढ्ढे में गंदा पानी तो नहीं है। गंदगी से विशेष प्रकार के बैक्टीरिया और वायरस का संक्रमण फैल सकता है। इसलिए बचाव का एक अच्छा तरीक़ा साफ़ सफ़ाई है।

वैक्सीन लगवाएं

लम्पी वायरस के संक्रमण से जानवरों को बचाने के लिए वैक्सीन उपलब्ध कराई जा रही है। ऐसे में मवेशी जानवरों को इन वैक्सीन्स की निश्चित डोज अवश्य दिलवाएँ। इससे संक्रमण से मवेशी जानवरों को बचाया जा सकता है।

कन्क्लूजन

जैसा कि हम देख रहे हैं कि भारत के कई राज्यों में आजकल लम्पी वायरस से मवेशी जानवरों के संक्रमित होने और मृत्यु को प्राप्त हो जाने के मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में ये हमारा दायित्व बनता है कि हम अपने मवेशी जानवरों को इस वायरस से बचाने के उपायों के बारे में जानें।

इस लेख में हमने लम्पी वायरस से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण बिंदु जैसे उसके कारण, लक्षण और बचाव के तरीक़ों पर एक विशेष चर्चा की है।

हम आशा करते हैं कि इस लेख के द्वारा आपको लम्पी वायरस एवं लम्पी स्किन डिजीज से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हो गयी होगी। लेख से संबंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है तो आप उसे कॉमेंट बॉक्स में लिखकर हमसे साझा कर सकते हैं।

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  • हेलो दोस्तों, मैं हूँ नायला हाशमी। मैं साइकोलॉजी में ग्रेजुएट हूँ और मैंने काउंसलिंग में डिप्लोमा किया है। मैं मेंटल हेल्थ पर बात करना जरूरी समझती हूँ। मैं एक राइटर हूँ और हेल्थ और वेलनेस पर लिखती हूँ। मुझे लगता है कि किसी भी बात या जानकारी को आसान और सीधे तरीके से शेयर करना लोगों से जुड़ने का बेहतरीन तरीका है। मेरी कोशिश है कि मैं कॉम्प्लेक्स आइडियाज को आसान और रिलेटेबल बनाऊं।

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