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जानिए मेनियर रोग (Meniere’s disease) के बारे में पूरी जानकारी

जानिए मेनियर रोग (Meniere's disease) के बारे में पूरी जानकारी

इस ब्लॉग में जानिए “मेनियर रोग (Meniere’s disease) के बारे में पूरी जानकारी”

मेनियर रोग क्या है? / What is Meniere’s disease in hindi

मेनियर रोग (Meniere’s disease), एक ऐसा रोग है जो कि कानों के अंदरूनी हिस्से को क्षति पहुंचाता है। यह मानव के कान का वही हिस्सा है जो कि सुनने और शारीरिक संतुलन बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस रोग को अमेरिकी अकादमी में ‘ऑडियो पैथिक सिंड्रोम ऑफ इंडोलिंफेटिक हाइड्रॉप्स’ के नाम से परिभाषित किया गया है।

सरल भाषा में कहा जाए तो यूं समझें कि मेनियर का रोग कान में अत्यधिक दबाव पड़ने के कारण उत्पन्न होता है, जिसकी वजह से चक्कर आने लगते हैं, सुनने की क्षमता को हानि पहुंचती है, इसके अलावा कान गूंजना, कान में भारीपन महसूस होना, कानों में झनझनाहट की आवाज और उल्टी आदि जैसी अवस्था का सामना करना पड़ सकता है। 

कई बार मेनियर रोग में केवल एक ही कान प्रभावित होता है। अब इस रोग को आयु के लिहाज से देखा जाए तो 40 से 50 की आयु वाले लोग अन्य आयु वर्गों की तुलना में इस बीमारी से अत्यधिक खतरे में होते हैं। इस रोग को क्रॉनिक माना जाता है।

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑन डीफनेस एंड अदर कम्युनिकेशन डिसऑर्डर के अनुमान के अनुसार अमरीका में 6 लाख से अधिक लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं। 

मेनियर रोग (Meniere’s disease) के लक्षण / Meniere’s disease symptoms in hindi

मेनियर रोग की स्थिति ऐसी होती है कि इसके लक्षण समय के साथ साथ और भी खराब नजर आने लगते हैं। शुरुआती चरण में रोगी को कुछ विशेष समस्याएं होने लगती हैं जैसे कि कम सुनाई देना, चक्कर आना आदि। 

यह रोग समय के साथ बढ़ने के कारण व्यक्ति को बहरेपन की समस्या की ओर धकेल सकता है।

इससे व्यक्ति को अनेक समस्याओं का सामना भी करना पड़ जाता है। चिकित्सकों का कहना है कि यदि आपको चक्कर सा महसूस होता है तो तुरंत बैठ या लेट जाएं। इन चरणों में किसी भी तरह की गतिविधि रोगी की समस्या को और बढ़ा सकती है।

उक्त लक्षणों के अलावा कुछ रोगियों को भिन्न भिन्न प्रकार की और भी शिकायतें हो सकती हैं जैसे कि चिंता, देखने में धुंधलापन, मतली (nausena) या दस्त, सिहरन(Shiver), अधिक पसीना आना और नाड़ी का तेजी से चलना।

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मेनियर रोग (Men Kerr’s disease) का अटैक भिन्न भिन्न प्रकार के व्यक्तियों को 20 मिनट से लेकर 24 घंटे तक रह सकता है। बहुत से लोगों को यह अटैक एक सप्ताह में कई बार और कुछ लोगों में यह अटैक महीनों या सालों में देखा जाता है। जैसे जैसे मेनियर रोग बढ़ने लगता है उसी के अनुसार इसके लक्षणों में भी बदलाव देखने को मिलता रहता है। इस रोग में व्यक्ति को सुनाई ना देने और टिनिटस (tinnitus) की समस्या सदा के लिए भी हो सकती है।

आइए अब हम बारी बारी इनके लक्षणों के बारे में थोड़ा और विस्तार से जानते हैं।

सुनने की क्षमता में हानि

मेनियर रोग के शुरुआती दौर में रोगी को सुनने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है। यहां रोगी को साफ तौर पर सुनाई नहीं देता। इलाज ना करवाने पर यह समस्या स्थाई रूप में भी हो सकती है।

टिनिटस (tinnitus) या कान गूंजना

मेनियर रोग में जिन विशेष समस्याओं का व्यक्ति को सामना करना पड़ता है उनमें से एक कान गूंजना भी है। इसमें व्यक्ति को सीटी बजने या कान में गड़गड़ाहट सी महसूस होती है। समय के साथ-साथ यह रोग स्थायी हो जाता है।

कान में भारीपन महसूस होना

मेनियर रोग (Meniere’s disease) से पीड़ित लोगों को चक्कर आने से पहले सिर के एक किनारे पर दबाव सा महसूस होने लगता है और यह पीड़ा लक्षणों में सुधार होने पर पूरी तरह गायब हो जाती है। कान में भारीपन या जिसे वेस्टिगो एपिसोड के नाम से भी जाना जाता है आमतौर पर दिनों, हफ्तों या सालों के अंतराल के बीच देखा जा सकता है।

मेनियर रोग (Meniere’s disease) के कारण / Causes of Meniere’s disease in hindi

लक्षण जानने के बाद आइए अब हम मेनियर रोग (meniere’s disease) के कारण भी जान लेते हैं। अब जब हम कारण की बात करते हैं तो जान लेना चाहिए कि इस रोग का कोई कारण स्पष्ट रूप से अज्ञात है। विशेषज्ञों का कहना है यह रोग कान के अंदरूनी हिस्से में तरल पदार्थ के असामान्य निर्माण के कारण लक्षणों के विकसित होने का खतरा होता है। हालांकि, यह बिल्कुल भी स्पष्ट नहीं है कि द्रव निर्माण का मुख्य कारण क्या है?

विशेषज्ञों ने निम्नलिखित कारणों के चलते कान में द्रव का एकत्रित होना माना गया, उनका मानना है कि इन कारणों के चलते मेनियर रोग का खतरा और भी बढ़ने लगता है।

चूँकि इस रोग के लिए किसी भी प्रकार की स्थिति को एक स्पष्ट कारण नहीं माना जा सका है, इसलिए विशेषज्ञों का कहना है कि उपर्युक्त स्थितियों का संयोजन भी इस रोग का एक विशेष कारण हो सकता है।

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मेनियर रोग (Meniere’s disease) का इलाज / Meniere’s disease treatment in hindi

मेनियर रोग (Meniere’s disease) के लक्षणों और कारणों को जान लेने के बाद अब हम इस रोग के इलाज के बारे में भी कुछ विशेष बातें जान लेते हैं। 

यूं तो मेनियर रोग एक ऐसी क्रोनिक स्थिति है कि इसका इलाज अब तक उपलब्ध नहीं हो सका है। विशेषज्ञों का कहना है इसके लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए कुछ इलाज की प्रक्रियाओं को प्रयोग में लाया जा सकता है।इसमें दवाएं और गंभीर स्थिति में आवश्यकता होने पर सर्जरी भी करनी पड़ सकती है।

दवाइयों का प्रयोग

मेनियर रोग में यदि रोगी को उल्टी और दस्त की शिकायत होती है तो उसे एंटीबायोटिक और एंटी नोजिया दवाएं देने से इस रोग के लक्षणों को नियंत्रित रखा जा सकता है। कान में द्रव के के निर्माण को रोकने के लिए चिकित्सक कुछ दवाइयां या ड्रॉप दे सकते हैं जिसकी मदद से यह द्रव की शिकायत कम हो सकती है।

श्रवण यंत्र

मेनियर रोग में साफ सुनाई ना देने और बहरेपन की शिकायत देखी जाती है इसके लिए चिकित्सक रोगी को ऐसे उपकरण भी दे सकते हैं जिससे उसकी सुनने और बहरेपन की समस्या का समाधान हो सके।

सर्जरी

यूं तो इस रोग के अधिकतर मामलों में सर्जरी की कोई आवश्यकता नहीं होती। यह केवल उन व्यक्तियों के लिए अनिवार्य हो जाता है जिन्हें अन्य इलाज के माध्यमों से कोई भी लाभ प्राप्त नहीं होता। कान के अंदर एकत्रित द्रव निकासी और इसको कम करने के लिए एंडोलिम्पैथिक प्रक्रिया को आजमाने पर तरल पदार्थ का उत्पादन कम हो सकता है। साथ ही इस प्रक्रिया से कान में दर्द की निकासी को भी तेजी से मदद मिलती है।

यही नहीं, आजकल फिजिकल थेरेपी के माध्यम से भी बहुत से रोगों का इलाज बड़ी आसानी से हो जाता है, इसलिए मेनियर रोग से पीड़ित व्यक्तियों को चाहिए कि एक बार फिजिकल थैरेपिस्ट से भी परामर्श जरूर कर लें।

निष्कर्ष / Conclusion

इस लेख में आज हमने मेनियर रोग क्या होता है, इसके लक्षणों, कारणों और इसका इलाज किस तरह किया जा सकता है इन बातों के बारे में विस्तार से बताया है। हालांकि, डॉक्टरों ने अभी तक इस रोग के बारे में स्पष्ट रूप से कोई कारण या लक्षणों के बारे में नहीं बताया लेकिन फिर भी इस रोग के उपरोक्त्त इलाज और कुछ टिप्स एवं ट्रिक्स को अपनाकर इस रोग को नियंत्रित रखा जा सकता है, जिसमें दवाइयां, ड्रॉप्स एवं सर्जरी शामिल हैं।

आशा करते हैं कि आज आपको मेनियर रोग से संबंधित बहुत सी बातों की जानकारी प्राप्त हुई होगी। साथ ही इसे रोकने और दूर करने के लिए भी बहुत सी महत्वपूर्ण बातें जिनसे आप अज्ञात थे पता चल गई होगी। 

विशेष

इस लेख में हमने कई विशेष बातें आपके साथ साझा की हैं। साथ ही हमने यहां पर जिन इलाजों के बारे में बताया उनमें दवाइयों और सर्जरी से के अलावा जो एक खास बात हमने आपके साथ साझा की वह फिजियोथैरेपी है। ध्यान रहे फिजियोथैरेपी आज के दौर में बड़ी कारगर साबित हो रही है। इसलिए जब आप किसी भी रोग से पीड़ित हों और दवाइयां खाने से बचना चाहते हो तो एक बार फिजियोथैरेपी जरूर अपनाएं। 

याद रहे इस लेख में जिन इलाजों के बारे में हमने आपको बताया है उन्हें उपयोग में लाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें। यह बिंदु नोट करना अत्यंत आवश्यक है।

इस लेख से संबंधित कोई भी प्रश्न आपके मन में हो तो कमेंट बॉक्स में अवश्य लिखें।

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  • हेलो दोस्तों, मैं हूँ नायला हाशमी। मैं साइकोलॉजी में ग्रेजुएट हूँ और मैंने काउंसलिंग में डिप्लोमा किया है। मैं मेंटल हेल्थ पर बात करना जरूरी समझती हूँ। मैं एक राइटर हूँ और हेल्थ और वेलनेस पर लिखती हूँ। मुझे लगता है कि किसी भी बात या जानकारी को आसान और सीधे तरीके से शेयर करना लोगों से जुड़ने का बेहतरीन तरीका है। मेरी कोशिश है कि मैं कॉम्प्लेक्स आइडियाज को आसान और रिलेटेबल बनाऊं।

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