जाने ओवर थिंकिंग (अत्यधिक सोच) के बारे में पूरी जानकारी

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ओवरथिंकिंग (अत्यधिक सोच) से मन में बार-बार नकारात्मक विचार आते रहते हैं जो दिमाग में अतित की भावनाओ को दोहराते हैं। ऐसे में हम निराशावादी होने लगते हैं। सभी मनुष्यों के सोचने और व्यवहार करने का एक तरीका होता है। ये तरीका समय के साथ, जीवन के अनुभवों के आधार पर विकसित होता है। ये उम्र के साथ बढ़ता रहता है। 

जिस तरह समय बढ़ता जाता है, सोचने-विचरने की क्षमता में भी बदलाव आने लगता है। 

आज के अपने इस लेख में हम इस बारे में चर्चा करेंगे कि ओवरथिंकिंग क्या है और ज्यादा सोचने से इंसान को किस तरह की समस्याएं पैदा हो सकती होती हैं? साथ ही आपको बताएँगे कि इस समस्या का समाधान कैसे करें। तो आइए अपने इस लेख की शुरुआत करते हैं।

ओवरथिंकिंग (अत्यधिक सोच) क्या है? / Overthinking (Atyadhik Soch) kya hai?

ओवरथिंकिंग (अत्यधिक सोच) बहुत बड़ी मानसिक समस्या है। भारत में भी लोग इस समस्या से ग्रस्त हैं लेकिन लोग इस समस्या को गंभीरता से नहीं लेते हैं। 

बहुत ज्यादा सोच-विचार करने की आदत अच्छी नहीं होती है जो आपको मानसिक बीमारियों के दलदल की ओर धकेल सकती है। 

हमारे विचार बहुत शक्तिशाली होते हैं।

ये हम पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं। ये विचार हमारी वास्तविकता बन जाते हैं अर्थात् हम इनको सच मानना भी शुरू कर देते हैं। 

एक विद्वान ने कहा भी है कि, ‘आप जैसे विचार मन में लगातार रखेंगे वही आप अपने जीवन में अनुभव भी करेंगे।’ 

ये ऐसा ही है कि आप जो सोच रहे हैं वो मानो बार बार आप के साथ घटित हो रहा हो। इसका अनुभव दुनिया के सफल लोगों ने भी किया है लेकिन उनमें और हमारे समान लोगों में अंतर है। उनके और बाकी सभी के बीच एकमात्र अंतर यह है कि उन्होंने सीखा है कि विचारों की शक्ति का उपयोग कैसे करें ताकि उन्हें बड़े लक्ष्य हासिल करने में मदद मिल सके। उन्होंने सकारात्मक भाव को अपने अंदर पैदा किया और उसे बढ़ने दिया जिस के कारण उनके लक्ष्य में कोई बाधा पैदा नहीं हुई। 

ओवरथिंकिंग की एक परिभाषा है। यह है, कोई छोटी सी चीज के बारे में बहुत अधिक समय तक सोचना या बस उसी पर ध्यान लगाए रखना। यदि यही विचार लम्बे समय तक रहें तो वो किसी समस्या का कारण बन जाते हैं। 

जब ये स्थिति दिमाग में बनी ही रहे और आप विचारों से खुद को अलग ही न कर पाएं तो इस स्थिति को ओवरथिंकिंग या बहुत ज्यादा सोचना कहा जा सकता है। इसके कारण इंसान अपने बस में नही रहता है और न ही वो खुद पर नियंत्रण कर पाता है।

यह हमारे जीवन में किसी न किसी मोड़ पर अवश्य होता है। हम सभी जीवन में ऐसी बहुत सारी  घटनाओं का अनुभव करते हैं जो हमारे लिए चिंता (एंग्जायटी) या तनाव का कारण बनती हैं। कुछ लोग अपनी चिंताओं से छुटकारा नहीं ले पाते हैं और वह उसी का शिकार हो जाते हैं जो आज कल बहुत बड़ी समस्या बन चुकी हैं। वे भविष्य और खुद के बारे में चिंता करते हैं। वे अतित के बारे में भी सोचते हैं और उसी अतित में जूझे रहते हैं। इस बात के कारण वे झल्लाहट से भर सकते हैं। वे बार-बार चिंतित रहते हैं कि दूसरे उनके बारे में क्या सोचते हैं। खुद के बारे में सुनी गई कोई निगेटिव बात उनके दिमाग में लगातार घूमती ही रहती है। वे दूसरे के विचारों के कारण खुद का जीवन समस्या से ग्रस्त कर लेते हैं। 

कई बार हम अपने दिमाग में बहुत सारे विकल्पों के बारे में सोचते हैं लेकिन किसी से कुछ कह नहीं पाते हैं। हमें सही विकल्प की खोज इतनी कठिनाई हो जाती है कि हम थक कर चूर हो जाते हैं। ऐसे में हमें यह ख्याल आता हैं कि गलत फैसला लेने से अच्छा है कि फैसला ही न लिया जाए लेकिन ये कोई निर्णय नहीं है। हमें निर्णय की खोज करनी चाहिए अर्थात मन में जो भी चल रहा है गलत या सही, हमें उसे अपने किसी प्रिय से सही समय पर बता देना चाहिए। ऐसा करने से हम ओवरथिंकिंग (अत्यधिक सोच) मुक्त हो जाएंगे। 

ओवरथिंकिंग अवसाद या डिप्रेशन के लक्षणों को बढ़ा सकती है। ये आपके स्ट्रेस (तनाव) के स्तर को बढ़ा सकती है और आपको गलत निर्णय लेने के लिए मजबूर कर सकती है। फिर आप को बार बार यह ख्याल आयेगा कि आप बार बार इतना क्यों सोच रहे हैं। 

अक्सर ओवरथिंकिंग चिंता (एंग्जायटी) या अवसाद का ही परिणाम होती है। यदि यह मामला है, तो आपको अपनी चिंता को दूर करने के लिए इलाज करने की आवश्यकता पड़ सकती है। 

कुछ हद तक आपको यह अनुभव हो सकता है कि यह केवल अधिक सोचने के कारण ही हो रहा है। इस समस्या से जल्द जल्द छुटकारा पाना चाहिए वरना ये घातक साबित हो सकता है।

विज्ञान ये मानता है कि बहुत अधिक सोचना हमारे स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है।

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अत्यधिक सोचने के क्या नुकसान हैं? / Atyadhik sochne ke kya nuksaan hain ?

हम अपनी पिछली गलतियों को ठीक करने के चक्कर में अपने आपको अनेक समस्याओं में डाल देते हैं  जिस के कारण हमारा मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने लगता है। यह ऐसा दुष्चक्र (vicious cycle) है जो हमेशा समस्याओं के साथ में चलता रहता है। ये हमारी मानसिक शांति को भंग करता है। हम अपनी मानसिक शांति खोते जाते हैं और ज्यादा सोचने के दलदल में फंस जाते हैं।

समस्या को सुलझाने के चक्कर में हम समस्याओं में ही गिर जाते हैं। ऐसा तब होता है जब हम किसी एक चीज पर बहुत अधिक विचार करने लगते हैं। ऐसी स्थिति में हम समस्याओं पर बार-बार विचार या मंथन करने लगते हैं जिससे समस्या और अधिक बढ़ जाती है। 

एक स्टडी के अनुसार किसी समस्या पर बहुत ज्यादा विचार करने से हमारी उन समस्याओं को हल करने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ओवरथिंकिंग (अत्यधिक सोच) के कारण हम समस्याओं के भंवर में उलझ जाते हैं। हम उन स्थितियों की भी कल्पना करने लगते हैं जो कभी हुई ही नहीं हैं। 

इसके कारण जीवन के आसान फैसले भी प्रभावित हो सकते हैं जैसे, आज कौन से कपड़े पहनने चाहिए? आज यहाँ घूमने जाना चाहिए या नहीं ? यह छोटे-छोटे फैसले भी आपको अधिक उलझन में डाल सकते हैं। कभी कभी ऐसा महसूस होगा कि यह छोटे छोटे से सवाल आपके जीने मरने के सवाल हो और अंत में यह होगा कि उसका कोई नतीजा ही नहीं निकलेगा। 

ओवरथिंकिंग (अत्यधिक सोच) में व्यक्ति को हर चीज पर रोना आता है और हर एक छोटी सी चीज पर चिंता करना एक आदत सी बन जाती है। इससे उसकी नींद में कमी आ जाती है। व्यक्ति की नींद पूरी नहीं होती और अगले दिन जब वह उठता है तो उसे पूरा दिन थकान महसूस होती है। व्यक्ति का मस्तिष्क सही से काम नहीं करता है। ओवरथिंकिंग इस तरह से नींद की गुणवत्ता को भी प्रभावित करती हैं। 

ओवरथिंकिंग के लक्षण / Atyadhik sock (Overthinking) ke lakshan

आइये जानते हैं ओवरथिंकिंग के लक्षण के बारे में –

  • अतित के शर्मिंदा करने वाले पलों का याद आना।
  • नींद ना आना। 
  • खुद से बार-बार सवाल पूछना कि आने वाले समय में क्या होगा।
  • अतित की बातों को लेकर परेशान रहना।
  • अतित के कड़वे पलों के कारण वर्तमान ज़िंदगी को ख़राब करना।
  • लोगों की कही गई पुरानी बातों को अपने ऊपर हावी करना। 
  • लोगों के विचारों के अनुसार ख़ुद को ढालने की कोशिश करते रहना।
  • दिमाग़ में लगातार अजीब ख्यालों का आना जाना।
  • किसी एक बात की उधेड़बुन में लगे रहना। 
  • अतित या आने वाले कल की चिंता को लेकर बहुत ज्यादा सोचना।
  • ऐसी बातों के बारे में सोचना जिन पर आपका कोई नियंत्रण न हों। 

ओवर थिंकिंग (अत्यधिक सोच) को कैसे रोके? / Overthinking ko kaise roke?

ओवरथिंकिंग (अत्यधिक सोच) से बचने के लिए निम्न तरीकों पर ध्यान दिया जा सकता है जिसके कारण हम इस समस्या से मुक्ति पा सकते हैं और खुद को स्वस्थ बना सकते हैं। हम निम्नलिखित बिन्दुओ द्वारा चर्चा करेंगे की ओवरथिंकिंग को कैसे रोके

1. विचारों को भटका लेना

जब भी ऐसा महसूस हो कि ओवरथिंकिंग हो रही है तो तुरंत ही अपना ध्यान किसी और जगह पर लगा लें। इसके लिए कोई गाना सुन लें या कोई गेम खेल लें वरना किसी और जगह पर घूमने के लिए चले जाएं। इससे आपका माइंड डाइवर्ट हो जाएगा और आप ओवरथिंकिंग (अत्यधिक सोच) से बच जाएंगे। 

2. खुद के बारे में  जागरूकता हो

किसी भी चीज को रोकने के लिए यह पता होना बहुत जरुरी हैं कि यह क्या हो रहा है। ओवरथिंकिंग विचारों की बाढ़ है जिससे तनाव और चिंता बढ़ जाती है। एकाग्रता की कमी हो जाती हैं। यह शारीरिक और मानसिक रूप से दिख भी जाता है। इसलिए आपको जब भी इस तरह के विचार आएँ तो आप तुरंत अपने विचारों की धारा को मोड़ लें जिससे कि आपकी सोच को एक नई दिशा मिल जाए और आप ओवरथिंकिंग (अत्यधिक सोच) से बच जाए।

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3. विचारों का दमन ना करें

किसी भी विचार या भावना को दबाकर या बांधकर कर रखने से वह और अधिक विकराल रूप धारण कर लेती है इसलिए जब भी आपको कोई विचार आए तो उसको रोकने की कोशिश ना करें बल्कि अपने विचार की धारा को मोड़ दें, जैसे गाने सुनकर, नई जगह की सैर करके, पुस्तक पढ़कर, गेम खेलकर, आदि। इससे आपके विचारों का दमन भी नहीं होगा और आप ओवरथिंकिंग से बच भी जाएंगे।

4. ध्यान केंद्रित करें-

ओवर थिंकिंग की आदत को एकदम से घटाया नहीं जा सकता बल्कि उसे धीरे-धीरे कम किया जा सकता है। इसके लिए आपको ध्यान केंद्रित करना पड़ेगा। ध्यान करते समय आपको अपनी सांसो पर फोकस करना होगा। सांसों पर फोकस करने के लिए आप चाहे तो उसकी काउंटिंग भी शुरू कर दें। आप इस को नियमित रूप से करें। शुरू में तो आप इसे पांच से दस मिनट के लिए ही करें लेकिन बाद में इसके टाइम को बढ़ा दें। शुरुआत में परेशानी होगी लेकिन धीरे-धीरे यह कम होने लगेगा। ऐसा करने से आप ओवरथिंकिंग (अत्यधिक सोच) से बच सकते हैं। 

निष्कर्ष / Conclusion

किसी भी आदत को बदलने के लिए धैर्य की बहुत ज्यादा जरूरत होती है। इसलिए वर्तमान पर फोकस करते हुए अपनी जिंदगी को जीना चाहिए। जिंदगी में जो हो रहा है उसके बारे में सोचना चाहिए ना कि अतित की चिंता करना चाहिए ।

कभी-कभी ऐसा लगता है कि ज्यादा सोच विचार करने से हम खराब हुई चीजों को सही कर सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं होता। सच यह है कि हम अतित के बारे में सोच सोच कर अपने भविष्य को भी बर्बाद कर लेते हैं। कोई कितना भी सोच ले लेकिन उसके अतीत को बदला नहीं जा सकता। 

अगर यह एहसास इंसान को हो जाए तो वह ज्यादा चिंता नहीं करेगा। इसका निष्कर्ष बहुत स्पष्ट है कि ओवरथिंकिंग आपके लिए बुरी है और यह समस्याओं को रोकने या हल करने के लिए कुछ भी नहीं करती है। 

आप अपने सवालों को कॉमेंट बॉक्स में लिखकर हमसे शेयर कर सकते हैं।

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