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पुरुषों में एचआईवी के लक्षण, कारण और निवारण | HIV ke lakshan,kaaran aur nivaran in male in hindi

पुरुषों में एचआईवी के लक्षण, कारण और निवारण

इस ब्लॉग में हम जानेंगे “पुरुषों में एचआईवी के लक्षण, कारण और निवारण

एचआईवी (HIV) एक तरीके का वायरस होता है जो व्यक्ति के शरीर को कमजोर कर देता है। एचआईवी के बारे में जानने के लिए इसका पूरा नाम जानना बहुत जरूरी है।

एचआईवी का फ़ुल फार्म ह्यूमन इम्युनों डिफिशिएंसी वायरस (Human immunodeficiency virus) होता है। एचआईवी वायरस हमारे शरीर में मौजूद CD4 कोशिकाओं (CD4 Cells) (जिनको टी कोशिकाएं (T cells) भी कहा जाता है) को पूरी तरीके से नष्ट करने का काम करता है।

एचआईवी (HIV) वायरस एड्स (AIDS) का कारण बनता है। यह एक लाइलाज बीमारी है। ऐसा जरूरी नहीं कि हर वह व्यक्ति जिसको एचआईवी वायरस है उसे एड्स भी होगा।

एचआईवी वायरस से बचने के लिए समय-समय पर थेरेपी लेना जरूरी है खासतौर से एंटीरेट्रो वायरस थेरेपी जो कि बहुत ज्यादा कारगर है।

एचआईवी वायरस के कारण मनुष्य के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है। वह धीरे-धीरे बीमारियों का शिकार होने लगता है और मौत की तरफ जाता रहता है।

1986 में पहली बार भारत में एचआईवी वायरस संक्रमण का मामला सामने आया था।

उसके बाद यह बहुत जल्दी फैलने लगा। यहां तक कि जल्दी ही 135 मामले सामने आ गए। जिसकी वजह से सरकार ने जगह-जगह जांच केंद्र खोल दिया था कि लोगों की जांच की जा सके। इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए बहुत सारे अभियान चलाए जाते हैं।

हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है ताकि इसके जरिए से लोगों में जागरूकता फैलाई जा सके। 

पुरुषों में एचआईवी वायरस के कारण | Reason of HIV Virus in Men in Hindi

ऐसे पुरुष जो एचआईवी वायरस से पीड़ित होते हैं उनके शरीर में एचआईवी वायरस के प्रवेश करने के कुछ कारण हैं जैसे-

एचआईवी वायरस से बचाव | Protection from HIV virus in Hindi

इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि इस वायरस की अभी तक कोई भी वैक्सीन या दवा नहीं बन पाई है। यह एक लाइलाज बीमारी है। इसलिए एक मात्र रास्ता यही है कि जितना हो सके इससे बचा जाए। यदि कोई व्यक्ति इसके संपर्क में आ जाए तो जिंदगी भर इस रोग से पीड़ित रहना पड़ेगा।

एचआईवी वायरस व्यक्ति के शरीर की कोशिकाओं के डीएनए में प्रवेश कर जाता है। जब वायरस डीएनए में प्रवेश कर जाता है तो वह व्यक्ति के साथ एक मजबूत संबंध बना लेता है। जिससे छुटकारा पाना नामुमकिन हो जाता है।

HIV का इलाज पाने के संदर्भ में काफी ज्यादा शोध किए जा रहे हैं परंतु अब तक कोई इलाज नहीं मिल पाया है।

एचआईवी वायरस से पीड़ित व्यक्ति के लिए यह कहा जाता था कि वह ज्यादा लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकता। उसकी जिंदगी बहुत कम होती है परंतु अब ऐसा नहीं है।

विज्ञान ने इतनी ज्यादा तरक्की कर ली है और इतने ज्यादा शोध किए जाने के बाद यह चीज निकल कर आई है कि कुछ दवाओं, थेरेपी और वैक्सीन के जरिए एचआईवी वायरस से पीड़ित व्यक्तियों को भी लंबे समय तक जीवित रखा जा सकता है।

इस वायरस को पूरी तरीके से खत्म नहीं किया जा सकता किंतु किसी हद तक इस वायरस पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

विज्ञान के द्वारा दिए गए लाइफ़ सपोर्टिंग ट्रीटमेंट (life supporting treatment) के द्वारा HIV से ग्रस्त इंसान की ज़िंदगी की संभावना को बढ़ाया जा सकता है। इतना सब होने के बावजूद भी एचआईवी/HIV वायरस घातक है। यह व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है। इससे व्यक्ति धीरे धीरे कई बीमारियों का शिकार होने लगता है और तथा उसकी मौत हो जाती है। इसलिए चाहे पुरुष हो या महिला, हर किसी को इससे बचने की कोशिश करनी चाहिए।

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पुरुषों के लिए एचआईवी से बचाव करने के उपाय | HIV prevention tips for men in hindi

एचआईवी वायरस के लक्षण | HIV virus symptoms in hindi

शुरुआती दिनों में एचआईवी वायरस के बारे में जानकारी हासिल करना कि यह शरीर में प्रवेश कर चुका हैं या नहीं थोड़ा मुश्किल है क्योंकि इसके लक्षण कई बार शुरुआती दिनों में दिखाई नहीं देते। इसके लक्षण सामने आने में 5 से 10 साल भी लग जाते हैं परंतु कुछ लक्षण होते हैं जिनकी जाँच के द्वारा यह पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति HIV से पीड़ित है या नहीं-

  • बहुत ज्यादा पसीना आना।
  • कमजोरी लगना।
  • बार बार बुखार चढ़ना।
  • दुबला पतला होना या तेज़ी से वजन घटना।
  • चेहरे पर सफेद गद्देदार धब्बे आना।
  • जल्दी जल्दी थक जाना।
  • अचानक वजन में कमी आ जाना।
  • बार-बार दस्त आना।
  • लगातार खांसी आना।
  • जाँघों में गांठ पड़ जाना।
  • थोड़ी-थोड़ी देर पर उनको जोड़ों में दर्द होता रहता है।
  • गले में सूजन रहना और उसके कारण गिल्टी निकल आना।
  • शरीर में बहुत ज्यादा खुजली होना।
  • शरीर में जलन पैदा होना।
  • जल्दी बीमार पड़ जाना।
  • बार-बार सर दर्द रहना।
  • निमोनिया रहना।
  • खून की कमी होना।
  • सांस फूलना, हांफने लग जाना।
  • टीबी की शिकायत होना या टीबी हो जाना।
  • एचआईवी के कारण पुरुषों में बहुत ज्यादा सर्दी जुखाम रहना शुरू हो जाता है और यह उनको बार-बार रहता है।

निष्कर्ष | Conclusion

मनुष्य के शरीर में एक रक्षा प्रणाली होती है जिसको प्रति रक्षक प्रणाली भी कहा जाता है। यह रक्षा प्रणाली व्यक्ति के शरीर को वायरस व बैक्टीरिया के संक्रमण से बचाता है। यदि इस पर बुरा प्रभाव पड़ता है तो पूरे शरीर पर प्रभाव पड़ता है इसलिए रक्षक प्रणाली का स्वस्थ रहना बहुत अनिवार्य है।

1992 को सरकार ने अभियान के रूप में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यालय की शुरुआत की थी। इसका मकसद था कि एड्स और एचआईवी के प्रभाव को किसी हद तक कम किया जा सके क्योंकि इसके कारण बहुत सारी मौतें हो चुकी थी।

इन मृत्यु के आँकड़ों पर नियंत्रण पाने के लिए जागरूकता की बहुत जरूरत थी। 1992 से 1999 तक इस कार्यालय को संचालित किया गया था। इसके लिए 84 मिलियन डॉलर रुपए खर्च किए गए थे। 1999 से दूसरे चरण की शुरुआत की गई थी जिसको 32 राज्यों में लागू किया गया था।

लोगों को बार-बार एचआईवी और एड्स के बारे में बताना इसलिए अनिवार्य है कि इतनी कोशिशों के बावजूद भी लोग इस पर ध्यान नहीं देते और वह गलतियां कर बैठते हैं। इसकी वजह से वे एचआईवी वायरस के शिकार हो जाते हैं। खास तौर से पुरुषों को क्योंकि वह एक दूसरे की चीजें इस्तेमाल करते हैं। किसी भी जगह जाएं तो इस्तेमाल की हुई चीजों को अपने शरीर में छूने से रोके क्योंकि खून के जरिए आपके शरीर में संक्रमण आ सकता है और आपको पता भी नहीं चलता कि कौन व्यक्ति एचआईवी वायरस से संक्रमित है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा इससे बचें और याद रखें कि एचआईवी एक जानलेवा बीमारी है जो कि लाइलाज है।

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