इंटरनेट और सोशल मीडिया का मानसिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव है?

इस ब्लॉग में हम जानेंगे “इंटरनेट और सोशल मीडिया का मानसिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव है?

आजकल हम सोशल मीडिया का नाम हर रोज सुनते हैं। सोशल मीडिया जैसे व्हाट्सएप, ट्विटर, फेसबुक पर कोई फोटो वायरल हुई है, सोशल मीडिया पर किसी बड़े सेलिब्रिटी ने बहुत बड़ी बात कह दी, इस तरह की बहुत सी खबरे सुनाई देती हैं। जो लोग स्मार्टफोन का प्रयोग करते हैं वो सोशल मीडिया से जुड़े रहते हैं।

इन्टरनेट की वजह से सोशल मीडिया का अस्तित्व है। व्हाट्सऐप, फेसबुक, ट्विटर, स्नैपचैट, इंस्टाग्राम जैसी वेबसाइट मिलकर सोशल मीडिया बनाती हैं।

जाने इंटरनेट और सोशल मीडिया का संबंध | Jaane Internet aur Social Media ka sambandh in hindi

इंटरनेट और सोशल मीडिया दोनों ही एक दूसरे पर निर्भर है। सोशल मीडिया का प्रयोग हम तभी कर सकते हैं जब हमारे पास इंटरनेट होगा। यदि हमारे फोन में इंटरनेट ना हो तो हम सोशल मीडिया का प्रयोग नहीं कर सकते। इसीलिए सोशल मीडिया का प्रयोग करने के लिए हमारे पास इंटरनेट और सोशल मीडिया दोनों का होना आवश्यक है।

आजकल इंटरनेट और सोशल मीडिया का प्रभाव हर किसी में देखने को मिलता है; चाहे वह बच्चा हो, युवा हो, या बूढ़ा हो। यह प्रभाव लाभदायक और हानिकारक दोनों प्रकार के हो सकते हैं, यह इसके प्रयोग पर निर्भर करता है कि इसका प्रयोग कौन किस तरह से कर रहा है।

इंटरनेट के कारण आज हमें बहुत सी आसानियां हो गई हैं। आजकल आम आदमी अपनी बात आसानी से सोशल मीडिया के द्वारा सबके सामने रख सकता है। सोशल मीडिया ने बहुत से लोगो को रातों रात स्टार बना दिया है। सोशल मीडिया के द्वारा हम जब चाहे तब एक दूसरे को आपस में संदेश, फोटोज, या वीडियोज भेज और प्राप्त कर सकते हैं। दुनिया के किसी भी कोने की खबर हमें तुरंत पता चल जाती है।

रोज़मर्रा के जीवन में सोशल मीडिया के लाभ | Rojmarra ke zindagi mei social media ka laabh in hindi

  • सबसे बड़ा लाभ तो यही है कि हम अपनी बात आसानी से किसी के सामने रख सकते है।
  • अपने कारोबार का प्रचार सोशल मीडिया के जरिए आसानी से कर सकते है, और इसे लाखों लोगो तक पहुंचा सकते हैं।
  • घर बैठे हजारों दोस्त बना सकते है; हालांकि इस तरह के दोस्तो पर जल्दी भरोसा न करें।
  • सोशल मीडिया से करोड़ो लोगो को रोजगार मिला है।
  • इंटरनेट के द्वारा हम यूट्यूब पर किसी भी बीमारी के लक्षण को जानकर हम उसका घरेलू इलाज कर सकते हैं और न ठीक होने पर हम आस पास के डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
  • बहुत से घरों में बूढ़े अकेले ही रहकर उलझ जाते हैं, उनसे बात करने वाला कोई नहीं होता और उनके दिमाग में अजीब अजीब खयाल आने लगते हैं। वह अंदर ही अंदर तनाव में आ जाते हैं। इससे स्वास्थ पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ता है। अकेलापन हर किसी को खा जाता है। सोशल मीडिया से लोग अपना अकेलापन दूर कर सकते हैं। सोशल मीडिया पर हर तरह की खबर रहती है। खाने पकाने से संबंधित वीडियो, मनोरंजन से लेकर हर तरह की वीडियो पाई जाती है। इन वीडियोस को देखकर किसी भी इंसान का अकेलापन दूर हो सकता है।
  • इंटरनेट बेरोजगारी को दूर करने में बहुत सहायक है। यूट्यूब पर पर भी लोग खाना पकाने, कलाकारी, खेलकूद, मनोरंजन इत्यादि से संबंधित तरह-तरह की वीडियोज बनाकर डालते हैं। इन वीडियोज से लोग पैसा कमाते हैं।
  • ईंटरनेट पर बहुत सी कम्पनियाँ है जो ऑनलाइन काम करवाती हैं। इस पर काम करके घर बैठकर लोग पैसे कमा सकते हैं।

सोशल मीडिया कब हानिकारक है? | Social Media kab haanikarak hai in hindi

  • Social-Media-kab-haanikarak-hai-in-hindi
  • सोशल-मीडिया-कब-हानिकारक-है
  • सोशल-मीडिया-कब-हानिकारक-है-Social-Media-kab-haanikarak-hai-in-hindi
  • सोशल मीडिया पर अपनी व्यक्तिगत चीजे न शेयर करें, इससे कोई भी आपका गलत फायदा उठा सकता है।
  • सोशल मीडिया की लोगो को लत गई है, उन्हें अपने आस पास किसी भी चीज का ध्यान नहीं रहता। यहॉं तक कि कई बार तो उनके परिवार में क्या हो रहा है उन्हे जानकारी नहीं रहती।
  • इससे रिश्तों पर गहरा प्रभाव देखने को मिलता है। दोस्त या रिश्तेदार के आने पर भी लोग अपने मोबाइल में व्यस्त रहते हैं। सोशल मीडिया के कारण ही लोग किसी को टाइम नही दे पाते।

यह भी पढ़ें –

इंटरनेट और सोशल मीडिया का मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव | Internet aur Social media ka mansik swasthya par prabhav in hindi

  • इंटरनेट और सोशल मीडिया का प्रयोग दिन प्रतिदिन दिन इतना अधिक होता जा रहा है कि लोग अपना जरूरी काम छोड़ कर इस पर समय खराब कर देते हैं। इसकी आदत इस तरह डाल लेते हैं कि सोशल मीडिया के बिना इनका मन नहीं लगता। लोगों को इसकी लत लग गई है।
  • अगर बात बच्चों की की जाए तो बच्चे पढ़ाई से दूर भागने लगे हैं। वह फ़ेसबुक, टि्वटर, व्हाट्सएप जैसे एप्स पर ज़्यादा समय बिताते हैं। सोशल मीडिया पर बहुत सी गलत बातें और घटनाएं भी रहती हैं। इस पर अफ़वाहें बहुत जल्दी फैलती हैं। बच्चे नासमझ होते हैं। उन्हें सही और गलत का फर्क नहीं पता होता है।गलत बात अगर उनके दिमाग़ में बैठ जाए तो जल्दी निकलती नहीं है। बच्चों को इससे दूर रखना चाहिए जिससे उनकी सोचने की क्षमता नार्मल रहे। सोशल मीडिया पर बहुत सी ऐसी वेबसाइट्स भी हैं जिन पर पॉर्न सामग्री उपलब्ध रहती है। ये बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत घातक होता है। इनसे बच्चों को दूर रखना चाहिए। गलत चीज़ों को देख व सुन कर वो गलत लत में पड़ सकते हैं।
  • सोशल मीडिया का ज्यादा प्रयोग करने से आंखों की रोशनी पर प्रभाव पड़ता है। एक ही स्थान पर बैठकर सोशल मीडिया और इंटरनेट का प्रयोग करने से मोटापा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, दिल की बीमारियां हो सकती हैं। इससे तनाव जन्म लेता है
  • आजकल के मां-बाप 6 माह के बच्चों को मोबाईल देना शुरू कर देते हैं। मोबाइल की रेडिएशंस बच्चों के लिए हानिकारक होती हैं। इसका उनकी आंखों और दिमाग पर बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ता हैं।

विशेष- आज के इस तकनीकी दौर में हम सभी साइंस और टेक्नोलॉजी का अपने दिन प्रतिदिन के कार्यों में काफ़ी प्रयोग करते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि विज्ञान और तकनीक के विकास के कारण मानवता को ख़तरा है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि पृथ्वी को और बेहतर बनाने के लिए विज्ञान और तकनीक का विकास आवश्यक है।

वैज्ञानिक इंस्ट्रूमेंट्स जैसे मोबाइल फ़ोन, लैपटॉप व इंटरनेट इत्यादि हमारे लिए उपयोगी तथा हानिकारक दोनों ही हो सकते हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम इन चीज़ों का प्रयोग अच्छे कार्यों में करते हैं या फिर इन्हें बुरे कार्यों में शामिल करते हैं।

यदि आप इंटरनेट पर पढ़ाई या ज्ञान के लिए कुछ सर्च करते हैं तो यह अवश्य मिलता है। वहीं यदि हम इंटरनेट पर पॉर्न वेबसाइट्स या अन्य ग़लत चीज़ों को सर्च करते हैं तो वह भी हमें मिलता है। इस प्रकार यह हम पर निर्भर करता है कि हम इंटरनेट का प्रयोग कहाँ पर कर रहे हैं। ग़लत तरीक़े से इस्तेमाल किए गए इंटरनेट की वजह से लोगों को अनेक मानसिक बीमारियां जैसे तनाव, एंग्जाइटी और यहाँ तक OCD (ओसीडी) भी हो सकता है।

कई बार देखा जाता है कि किसी वेब सीरीज़ या फ़िल्म के चक्कर में पड़कर हम अपने ज़रूरी कामों को अनदेखा करते रहते हैं। फिर ये कार्य समय से पूरे नहीं होते। इसके कारण हमें चिंता होने लगती है और हम डिप्रेशन में जाने लगते हैं।

इसी प्रकार इंटरनेट पर कोई ग़लत अफ़वाह या घटना को देखकर हम दुखी महसूस करने लगते हैं और अवसाद की ओर बढ़ने लगते हैं। इंटरनेट पर उपलब्ध सोशल मीडिया के द्वारा हम लाखों व करोड़ों लोगों से जुड़ जाते हैं लेकिन हम अपनों से दूर होते चले जाते हैं। एक प्रकार से इंटरनेट हमें नक़ली दुनिया में खींचने लगता है और हम अपनी असली दुनिया को भूलने लगते हैं। इससे हममें अकेलापन जन्म लेने  लगता है।

इंटरनेट के कारण फ्रॉड तथा ब्लैकमेल की स्थितियां भी बढ़ रही हैं जिससे लोग डिप्रेशन में आकर आत्महत्या कर लेते हैं।

इस प्रकार इंटरनेट के दो पहलू हैं और यदि हम बुरे कार्यों के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करें तो ये हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए काफ़ी घातक साबित हो सकता है।

निष्कर्ष | Conclusion

सोशल मीडिया और इंटरनेट को हमें एक निश्चित समय के लिए ही उपयोग करना चाहिए ताकि हमें हर चीज की जानकारी रहे व हम किसी भी जानकारी से अनजान ना रहें। इंटरनेट के ज़्यादा प्रयोग से बचना चाहिए क्योंकि इससे हमारा स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य दोनों ही ख़राब हो सकता है।

लेख से संबंधित सवालों और सुझावों को कॉमेंट बॉक्स में लिखकर आप हमसे शेयर भी कर सकते हैं।

Author

  • Deepak

    Deepak is an engineering graduate with a passion for health and wellness. Leveraging his technical expertise, he write about topics like healthy living, nutritious food, self-care, mental well-being etc. With a focus on evidence-based practices, Deepak aims to inspire others to lead balanced and healthier lives through their writing.

    View all posts

Deepak

Deepak is an engineering graduate with a passion for health and wellness. Leveraging his technical expertise, he write about topics like healthy living, nutritious food, self-care, mental well-being etc. With a focus on evidence-based practices, Deepak aims to inspire others to lead balanced and healthier lives through their writing.

Related Posts

Leave a Reply