एंग्जायटी (Anxiety) क्या है – इसके कारण, लक्षण और निवारण

आज हम जानेंगे “एंग्जायटी (Anxiety) क्या है – इसके कारण, लक्षण और निवारण

आपने बेचैनी का अनुभव कई परिस्थितियों में किया होगा। आप बेचैनी की भावना से भलीभाँति परिचित भी होंगे लेकिन क्या होगा यदि हम आपसे पूछें कि बेचैनी या जिसे हम एंग्जायटी (Anxiety) भी कहते हैं वह क्या है?

क्या आप बेचैनी या एंग्जायटी को परिभाषित कर सकते हैं? शायद हाँ और शायद नहीं भी। चलिए हम आपकी सहायता करते हैं और आपको बताते हैं कि बेचैनी दरअसल क्या होती है?

बेचैनी एक मानसिक रोग है जो कि इस बात पर निर्भर करता है व्यक्ति में एंग्जायटी या बेचैनी कितने समय से है।

व्यक्ति बेचैनी को अपने विचारों के आधार पर महसूस करता है। जब व्यक्ति नकारात्मक विचारों से घिर जाता है तो कहीं ना कहीं उसे एंग्जायटी होती है। यदि और आसान भाषा में कहें तो एंग्जायटी या बेचैनी तनाव के प्रति दी हुई एक प्रतिक्रिया है।

किसी भी प्रकार के डर के प्रति जब हमारा शरीर कोई प्रतिक्रिया देता है तो ये स्थिति असल में बेचैनी की कहलाती है। उदाहरण के तौर पर जब हम आने वाले प्रोजेक्ट को लेकर डर रहे होते हैं तो ऐसे में हमारे मस्तिष्क में कई नकारात्मक ख़याल आने लगते हैं। ये नकारात्मक ख़याल हमारे अंदर डर को जन्म देते हैं जिससे हम बेचैन हो उठते हैं। ये पूरी ही स्थिति एंग्जायटी की कहलाती है।

एंग्जायटी (Anxiety) की डिसॉर्डर क्या है ? | Anxiety Disorder kya hai in Hindi?

एंग्जायटी की स्थिति क्षणिक होती है अर्थात बेचैनी या एंग्जायटी किसी भी स्थिति के लिए कुछ समय के लिए ही पैदा होती है। इस बेचैनी पर क़ाबू पाने के लिए हमारा मस्तिष्क कुछ सकारात्मक विचारों को भी जन्म देने की कोशिश करता है। धीरे धीरे हमारा मस्तिष्क ख़ुद ही इस एंग्जायटी की स्थिति को कम करने की कोशिश करता है। जो लोग सकारात्मक विचारों पर ज़्यादा ज़ोर देते हैं उनके लिए बेचैनी की स्थिति पैदा होना काफ़ी मुश्किल है।

ऐसे लोग जो नकारात्मक विचारों पर ज़्यादा ध्यान देते हैं और आने वाले भविष्य को लेकर अत्यधिक चिंतित रहते हैं उसमें डर की भावना सदैव बनी रहती है। उन्हीं लोगों में बेचैनी भी उत्पन्न होती है।

इन दोनों ही प्रकार के लोगों में मस्तिष्क अपना कार्य करता है और बेचैनी को कम करने की कोशिश करता है। यही कारण है कि बेचैनी थोड़े समय बाद कम होना शुरू हो जाती है लेकिन कुछ स्थितियों में देखा गया है कि लोगों में एंग्जायटी काफ़ी समय तक रहती है।

यदि कोई ऐसा व्यक्ति है जो छह महीने से ज़्यादा एंग्जायटी से ग्रस्त है तो उसे तुरंत साइकोलॉजिस्ट की सहायता लेनी चाहिए छह महीने से अधिक एंग्जायटी होना दरअसल एक मानसिक रोग एंग्जायटी डिसॉर्डर भी हो सकता है।

एंग्जायटी (Anxiety) के कारण क्या है ? | Anxiety ke karaan kya hain in Hindi?

जैसा कि हमने बताया कि किसी डर के प्रति हमारे शरीर के द्वारा दी गई प्रतिक्रिया बेचैनी कहलाती है। इस बात से स्पष्ट होता है कि एंग्जायटी एक विशिष्ट प्रकार की स्थिति में ही देखी जाती है।

इसका अर्थ है कि एंग्जायटी का प्रमुख कारण चिंता या डर की स्थिति होती है

जब हम आने वाले किसी टास्क या परीक्षा इत्यादि के लिए चिंतित होते हैं तो ऐसे में जो डर उत्पन्न होता है उसके प्रति हमारा शरीर एक प्रतिक्रिया देता है जो बेचैनी होती है।

एंग्जायटी (Anxiety) के लक्षण क्या है ? | Anxiety ke Lakshan kya hain in Hindi?

जब हमें एंग्जायटी होती है तो हमारे शरीर में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं –

  • हृदय गति का बढ़ जाना
  • साँस की गति में उतार चढ़ाव
  • जुबान, गले और मुँह का सूखना
  • अचानक से पसीना आना
  • पेट में मरोड़ या गुदगुदी होना
  • डर महसूस होना
  • निराशा महसूस होना

एंग्जायटी के लक्षण पैनिक अटैक के लक्षणों से मिलते जुलते हैं। जब बेचैनी हद से ज़्यादा बढ़ जाती है और व्यक्ति इससे निपटने में क़ामयाब नहीं होता है तो ऐसे में व्यक्ति को पैनिक अटैक का भी सामना करना पड़ सकता है। पैनिक अटैक से पूर्व व्यक्ति को इसी प्रकार के लक्षण महसूस हो सकते हैं। इसी के साथ पैनिक अटैक के दौरान व्यक्ति का ब्लड प्रेशर काफ़ी ज़्यादा बढ़ भी सकता है। एंग्जायटी तथा पैनिक अटैक दोनों ही किसी व्यक्ति के लिए घातक हो सकते हैं। यही कारण है कि इन चीज़ों को अनदेखा नहीं करना चाहिए।

एंग्जायटी डिसॉर्डर (Anxiety Disorder) के प्रकार क्या है ? | Anxiety Disorder ke prakaar kya hain?

कोई भी व्यवहार या आदत जब स्वाभाविक से ज़्यादा बढ़ जाए तो ऐसे में वह एंग्जायटी या अन्य मानसिक रोगों को जन्म दे सकती है। एंग्जायटी के भी कुछ विशेष प्रकार हैं जिनमें व्यक्ति का व्यवहार स्वाभाविक से ज़्यादा बढ़ जाता है।

इसी आधार पर एंग्जायटी डिसॉर्डर को कुछ निश्चित श्रेणियों में बाँटा गया है। आइए देखते हैं कि एंग्जायटी डिसॉर्डर के कुछ विशेष प्रकार कौन कौन से हैं-

एंग्जायटी डिसॉर्डर के प्रकार क्या है

पैनिक डिसऑर्डर (Panic Disorder)

एक सामान्य स्थिति में अचानक से घबराहट या डर का होना दरअसल पैनिक डिसॉर्डर हो सकता है। जब व्यक्ति को पैनिक डिसॉर्डर होता है तो ऐसे में व्यक्ति काफ़ी घबरा जाता है। वह चीज़ों को सही प्रकार से समझने में असमर्थ होता है। इसी के साथ व्यक्ति आने वाले समय में होने वाले पैनिक डिसॉर्डर को लेकर भी काफ़ी डरा हुआ महसूस करता है।

फोबिया (Phobia)

किसी वस्तु, स्थिति या गतिविधि के प्रति अत्यधिक डर की भावना फोबिया कहलाती है। फोबिया की स्थिति में व्यक्ति को उन चीज़ों से इतना डर लगने लगता है कि यदि वे उसके सामने आ जाएं तो ऐसे में व्यक्ति को ना सिर्फ़ एंग्जायटी होती है बल्कि उसे पैनिक अटैक होने का भी ख़तरा बढ़ जाता है।

फोबिया से संबंधित चीज़ों को व्यक्ति के सामने लाने से व्यक्ति असामान्य प्रतिक्रियाएं दे सकता है जैसे हद से ज़्यादा चीखना चिल्लाना या हिंसक हो जाना।

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सामाजिक एंग्जायटी डिसॉर्डर (Social Anxiety Disorder)

जब व्यक्ति लोगों से मिलने जुलने से घबराता है तो ऐसे में उसे सामाजिक एंग्जायटी डिसॉर्डर होता है। कई बार देखा गया है कि कुछ लोग अपने आप को सिर्फ़ इसलिए अलग कर लेते हैं क्योंकि वे दूसरों के द्वारा ख़ुद पर दी गई टिप्पणियों से घबराते हैं।

उनका समाज के प्रति यह डर एंग्जायटी को जन्म देता है और वे लोगों के पास जाने से काफ़ी बेचैन महसूस करते हैं। यही कारण है कि वे ख़ुद को सबसे अलग कर लेते हैं और अकेलेपन में जीने लगते हैं।

ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर (Obsessive Compulsive Disorder)

ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर या जिसे ओसीडी (OCD) भी कहते हैं वह भी एक प्रकार का एंग्जायटी डिसॉर्डर का प्रकार है।

OCD से ग्रस्त व्यक्ति को किसी भी प्रतिक्रिया को दोहराने की आदत होती है। OCD से जूझ रहा व्यक्ति किसी भी आचरण या व्यवहार को बार बार दर्शाता है जैसे बार बार दरवाज़े का लॉक चेक करना या बार बार हाथों को धोना।

सेपरेशन एंग्जायटी डिसॉर्डर (Separation Anxiety Disorder)

कुछ लोगों को अपने प्रियजनों या घर वालों से दूर जाने में डर लगता है। यह स्वाभाविक सी बात है लेकिन यदि कोई व्यक्ति अपने ज़रूरी से ज़रूरी काम सिर्फ़ इस वजह से दूर छोड़ दे रहा है क्योंकि उसे अपने प्रियजनों से दूर जाने से बेचैनी होती है तो ये एक प्रकार का एंग्जायटी डिसॉर्डर ही है। इसे सेपरेशन इंसाइडर डिसॉर्डर के नाम से जाना जाता है क्योंकि इसमें व्यक्ति को अपने चाहने वालों के प्रति अत्यधिक लगाव होता है।

इलनेस एंग्जायटी डिसॉर्डर (Illness Anxiety Disorder)

वैसे तो स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होना काफ़ी महत्वपूर्ण और ज़रूरी है लेकिन यदि आप हद से ज़्यादा जागरूक हो जाएँ तो क्या होगा?

जैसा कि हमने बताया कि किसी भी व्यवहार या आदत का स्वाभाविक से बढ़ना व्यक्ति के लिए ख़तरनाक हो सकता है ठीक वैसे ही यदि व्यक्ति स्वास्थ्य के प्रति इतना चिंतित हो जाता है कि वह बेचैन होने लगे तो ऐसे में उसे इलनेस एंग्जायटी डिसॉर्डर होता है।

इलनेस एंग्जायटी डिसॉर्डर से पीड़ित व्यक्ति को हर समय यही ख़तरा लगा रहता है कि वह बीमार हो जाएगा। उसे इन्फेक्शन इत्यादि से संबंधित काफ़ी श़क होने लगते हैं जिसकी वजह से वह अपना मानसिक स्वास्थ्य खोने लगता है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि इलनेस एंग्जायटी डिसॉर्डर से पीड़ित व्यक्ति डॉक्टर के पास जाने से भी घबराता है क्योंकि उसे हॉस्पिटल के माहौल से इंफेक्शन हो जाने का ख़तरा सताता है।

पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर (Post Traumatic Stress Disorder)

जब हमें तनाव होता है तो ऐसे में हमारा शरीर काफ़ी बेचैन होने लगता है। जब हम तनाव से ठीक हो जाते हैं तो ऐसे में हमारा सामान्य होना भी ज़रूरी है लेकिन कुछ स्थितियों में यह देखा जाता है कि व्यक्ति तनाव से ठीक हो जाने के बाद भी बेचैनी महसूस करता है।

वह व्यक्ति अपने पुराने तनाव के दिन और स्थिति को याद करके घबराने लगता है और सोचता है कि ऐसा दोबारा से ना होने लगे। इसे पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर कहते हैं। यह स्थिति भी व्यक्ति को काफ़ी परेशान करती है और व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य ख़राब हो जाता है।

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एंग्जायटी (Anxiety) से कैसे निपटें ? | Anxiety ke kaise niptein?

इतना सब कुछ जानकर आपको यही लग रहा होगा कि अब हम ऐसा क्या करें कि हम इन सारी परेशानियों से बच जाएं। तो हम आपको बता दें कि आपको चिंता करने की बिलकुल भी आवश्यकता नहीं है क्योंकि हम यहाँ पर कुछ ऐसे उपाय बताएँगे जो आपको एंग्जायटी से बचने में मदद कर सकते हैं। तो आइए एक नज़र डालते हैं इन महत्वपूर्ण उपायों पर-

  • एंग्जायटी किसी भी व्यक्ति को किसी भी स्थिति में हो सकती है तो ऐसे में आपको घबराना नहीं है। एक लंबी साँस लें और अपने दिमाग़ में सकाराचिंता परिभाषा और लक्षणएंग्जायटी ट्रीटमेंटत्मक विचारों को जगह दें।
  • किसी भी बेचैनी की इस स्थिति से निपटने के लिए आप सक्षम हैं और इस बात को आपको ख़ुद से समझना होगा।
  • यदि कोई भी तनाव की स्थिति आपके सामने उत्पन्न होती है तो उससे घबराने के बजाय ये सोचें कि ये जीवन का एक प्रमुख भाग है।
  • अपने डर पर क़ाबू पाने की कोशिश करें। आप सोचें कि जिस चीज़, स्थिति या जगह से आपको डर लगता है वह वास्तव में आपको कितना नुक़सान पहुँचा सकती है।
  • एक सामान्य व्यवहार क्या होता है इसके बारे में पढ़ें और उसे अपने जीवन में लागू करने की कोशिश करें।
  • यदि आपको लगता है कि आप अपने एंग्जायटी डिसॉर्डर से उबरने में सक्षम नहीं हैं तो ऐसे में किसी साइकोलॉजिस्ट के पास जाने से बिलकुल भी न हिचकें। साइकोलॉजिस्ट आपकी भरपूर मदद करेगा जो आपके लिए काफ़ी फ़ायदेमंद भी होगी।
  • अपने अंदर आत्मविश्वास को जगह दें। जब कोई टास्क को लेकर आपको डर लगे तो आप डरने के बजाय उस पर काम करना शुरू कर दें। निश्चित रूप से वह कार्य आसानी से हो जाएगा।

निष्कर्ष | Conclusion

मानसिक स्वास्थ्य का ख़याल रखना बेहद ज़रूरी है। यदि हम मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं हैं तो ऐसे में हम जीवन की खुशियों का आनंद नहीं ले पाएंगे। इसलिए हमें चाहिए कि हम नकारात्मक विचारों से जितना हो सके उतना दूर रहें और सदैव सकारात्मक चीज़ों के बारे में सोचें।

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  • Deepak

    Deepak is an engineering graduate with a passion for health and wellness. Leveraging his technical expertise, he write about topics like healthy living, nutritious food, self-care, mental well-being etc. With a focus on evidence-based practices, Deepak aims to inspire others to lead balanced and healthier lives through their writing.

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