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क्या ग्लूकोज़ के बारे में आप ये जानते हैं?

क्या ग्लूकोज़ के बारे में आप ये जानते हैं
क्या ग्लूकोज़ के बारे में आप ये जानते हैं

इस ब्लॉग में हम जानेंगे “क्या ग्लूकोज़ के बारे में आप ये जानते हैं ?

ग्लूकोज क्या होता है? | What is Glucose in hindi

ग्लूकोज़ (Glucose) एक तरह की शुगर (Sugar) होती है। ग्लूकोज़ का मतलब ही मीठा होता है इसीलिए इसका स्वाद मीठा रहता है।

ग्लूकोज किससे बनता है ? | What is glucose made of in hindi

कार्बोहाइड्रेट्स (Carbohydrate), प्रोटीन (Protein) और वसा (Fat) तीनों से मिलकर ग्लूकोज़ बनता है। ग्लूकोज़ को सबसे सरल कार्बोहाइड्रेट माना जाता है क्योंकि सबसे अधिक ग्लूकोज़ कार्बोहाइड्रेट से ही बनता है। इसका संबंध कार्बोहाइड्रेट के वंश से होता है।

दा्क्षधु यानी ग्लूकोज़ को डेक्सट्रोज (Dextrose) अथवा ब्लड शुगर (Blood sugar) भी कहा जाता है। यह जीवों चाहे वह व्यक्ति हो या पेड़ पौधे दोनों की कोशिकाओं में ऊर्जा प्रदान करने का काम करती है। जो ग्लूकोज़ शरीर की कोशिकाओं को रक्त के माध्यम से मिलता है उसको ब्लड ग्लूकोज़ (blood glucose) कहते हैं।

इंसुलिन (Insulin) जो एक तरीके का हार्मोन होता है यह ऊर्जा को रक्त के द्वारा ग्लूकोज़ के रूप में सारी कोशिकाओं तक पहुंचाता है।इंसुलिन हार्मोन (Insulin Hormone), ग्लूकोज़ के स्तर को नियमित करने का कार्य करता है।

ग्लूकोज़ पानी में आसानी से घुल जाती हैं। पेट और छोटी आंत ग्लूकोज़ को आसानी से अवशोषित (absorb) कर लेते हैं। ग्लूकोज का सूत्र (chemical formula) C6H12O6 होता है।

मधुमेह (diabetes) के मरीजों में शुगर की मात्रा सामान्य स्तर से बहुत ज्यादा रहती है जिसके कारण व्यक्ति के गुर्दों और आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। मनुष्य और जानवरों के शरीर में जरूरत से ज्यादा ग्लूकोज के मॉलिक्यूल आपस में जुड़कर ग्लाइकोजन (glycogen) का रूप बना लेते हैं जो ब्लड शुगर बढ़ाए बगैर शरीर में इकट्ठा किया जा सकता है। शरीर में नियमित मात्रा में ग्लूकोज़ का रहना बहुत जरूरी है।

शरीर में ग्लूकोज़ के ज्यादा और कम होने के कारण बहुत सी बीमारियां हो सकती हैं इसीलिए हमेशा ग्लूकोज की मात्रा को नियमित रखना चाहिए।

ग्लूकोज की मात्रा कम या ज्यादा होने पर चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। बात करें यदि पौधों की तो पौधे अपना ज़्यादातर ग्लूकोज़ ‘स्टार्च’ की सूरत में इकट्ठा करते हैं। वहीं इंसानी शरीर सिर्फ dextrose (डेक्सट्रोज) और laevorotatory (लेवोरोटेटरी) ग्लूकोज इस्तेमाल कर सकता है। दा्क्षधु मतलब ग्लूकोज अल्फा और बीटा के रूप में पाया जाता है।

ग्लूकोज कितने प्रकार के होते हैं | Types of Glucose in Hindi

ग्लूकोस तीन प्रकार का होता है परंतु तीनों में एक ही तरीके की कैलोरीज पाई जाती हैं-

ग्लूकोज़ (glucose) ज्यादातर हरी सब्जियों, ताजे फलों, डेयरी के पदार्थों के साथ-साथ अनाज में भी काफी मात्रा में पाया जाता है।

शहद, खजूर, अनार, अंगूर, काजू, अनन्नास, आम, चुकंदर, अंडा, मछली, पनीर, खीरा, हरी सब्जियां, अनाज, डेरी से संबंध रखने वाली चीजें, चावल आदि में भी ग्लूकोस पाया जाता है।

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ग्लूकोज़ की कमी का प्रभाव | Effect of glucose deficiency in hindi

ग्लूकोज़ की कमी से बहुत सारी बीमारियां होती हैं। जब व्यक्ति के शरीर में ग्लूकोस की मात्रा कम होने लगती है तो उसको निम्नलिखित तरह की तकलीफों का सामना करना पड़ सकता है। तो आइए जानते हैं वे क्या हैं-

हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycaemia) क्या है? | What is Hypoglycaemia in hindi

जब इंसानी शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ जाती है तो यह खतरनाक होता है। इसी के साथ-साथ उसकी कमी भी जानलेवा हो सकती है। शुगर लेवल की कमी के कारण होने वाली बीमारी को हाइपोग्लाइसीमिया (Hypoglycaemia) कहा जाता है।

जब हमारे शरीर में शुगर लेवल 70 मिलीग्राम से कम होता है तो कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं। ज्यादातर देखा गया है कि मधुमेह के मरीजों के मरने का कारण हाइपोग्लोसोमिया ही होता है क्योंकि मधुमेह के मरीज रक्त में शुगर कम करने वाली दवाओं का सेवन करते हैं।

ऐसे बीमार व्यक्तियों को अक्सर वे दवाएं दी जाती हैं जो उनके शरीर में ग्लूकोज़ की मात्रा को कम कर देती हैं जिसके कारण हाइपोग्लाइसीमिया हो जाता है।

हाइपोग्लाइसीमिया होने का एक कारण हारमोंस की कार्य क्षमता में कमी भी होती है। जब किसी भी व्यक्ति के शरीर में हारमोंस की कार्य क्षमता में कमी होने लगती है तो ग्लूकोज की मात्रा में कमी आने लगती है।

जब किसी के गुर्दे खराब होते हैं तो गुर्दे खराब होने के कारण ग्लूकोस की मात्रा में कमी हो जाती है। इसलिए भी हाइपोग्लाइसीमिया हो जाता है। हाइपोग्लाइसीमिया को दूर करने के लिए हमें अपने शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को नियमित रखना चाहिए।

हाइपोग्लाइसीमिया के कारण स्वास्थ्य खराब रहने लगता है। शारीरिक बनावट भी प्रभावित होने लगती है जिसके कारण व्यक्ति अस्वस्थ रहता है।

हाइपोग्लाइसीमिया का एक कारण ह्रदय से संबंधित समस्याएं पैदा होना भी हैं। जब दिल की धड़कन बहुत ज्यादा तेज या बहुत धीरे हो जाती हैं तो इस तरह ब्लड शुगर नियंत्रण में नहीं रहता। जिसके कारण हाइपोग्लाइसीमिया हो जाता है।

हाइपोग्लोसोमिया से सबसे अधिक व्यक्ति के मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है। उसके अंदर चिड़चिड़ापन पैदा हो जाता है और वह हमेशा गुस्सैल और चिड़चिड़ेपन का शिकार रहता है।

हाजमे से संबंधित समस्याएं व्यक्ति के रोजमर्रा की जिंदगी में आना शुरू हो जाती हैं।

हाइपोग्लाइसीमिया के कारण आंखों से संबंधित कई सारी परेशानियां शुरू हो जाती हैं। इसके कारण आंखों से धुंधला दिखने लगता है।

किसी भी चीज पर ध्यान केंद्रित करने में समस्या आती है।

ग्लूकोज़ के बढ़ने से नुक़सान | Disadvantages of increased glucose in hindi

शरीर में ग्लूकोज़ की मात्रा अधिक बढ़ जाने के कारण कई सारी बीमारियां हो सकती हैं-

ग्लूकोज़ से होने वाले फायदों के बारे में | Benefits of glucose in hindi

ग्लूकोज़ का सेवन करने से हमारा शरीर बहुत ज्यादा ऊर्जा से भरा रहता है और हमें काम करने की हिम्मत मिलती है। शरीर में एक नई ताकत और मस्तिष्क में ताजगी रहती है जिससे हम आसानी से अपने काम कर सकते हैं।

जब हमारे शरीर में ग्लूकोज की मात्रा नियमित रहती है तो हम काम को आसानी से कर पाते हैं। इससे शरीर में वसा (fat) की मात्रा सीमित रहती है।

ग्लूकोज़ की मात्रा सही रहने के कारण हमें डिहाइड्रेशन नहीं होता। इसके साथ साथ किसी भी तरीके का कोई तनाव या सर चकराना, सर दर्द होना इन सब पीड़ाओं से भी मुक्ति मिल जाती है।

Conclusion | निष्कर्ष

व्यक्ति को विभिन्न प्रकार के खाद्य पधार्थों से ग्लूकोज़ मिलता है। आपको बताते चलें की मनुष्यों व जानवरों की तरह ही पौधे भी ग्लूकोस के द्वारा उर्जा इकट्ठा करते हैं। पौधे फोटोथेनसिसेस या प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के द्वारा ऊर्जा का आदान प्रदान करते हैं। यह प्रक्रिया सूरज की रोशनी की उपस्थिति में होती है।

इस लेख में हमने ग्लूकोज़ से सम्बंधित महत्वपूर्ण बातों की चर्चा की है। हम आशा करते हैं कि इस लेख के माध्यम से आपको ग्लूकोज़ से संबंधित समस्त प्रकार की बातों के बारे में ज्ञान प्राप्त हुआ होगा।

लेख से संबंधित सवालों और सुझावों को आप कॉमेंट बॉक्स में लिखकर हमसे शेयर कर सकते हैं।

Author

  • Deepak is an engineering graduate with a passion for health and wellness. Leveraging his technical expertise, he write about topics like healthy living, nutritious food, self-care, mental well-being etc. With a focus on evidence-based practices, Deepak aims to inspire others to lead balanced and healthier lives through their writing.

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