इस ब्लॉग में हम जानेंगे “जानकारी जो टी बी के बारें में जानना है ज़रूरी“
टी बी रोग की जानकारी | TB disease information in hindi
आज हम आपको टी.बी. रोग के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जो आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी।
बहुत से लोग टी.बी (ट्यूबरक्लोसिस) का नाम सुनकर घबरा जाते हैं। पहले के समय में लोग यह मानते थे कि टी.बी का इलाज संभव नहीं है परंतु आधुनिक समय में टीबी का इलाज संभव है।
पहले इसका इलाज हर जगह संभव नहीं था। यदि संभव था भी तो इसकी जानकारी हर किसी को नहीं थी। इसकी चपेट में आते ही लोग मौत के मुंह में चले जाते थे। टीबी एक खतरनाक बीमारी है परंतु अब इससे घबराने की रोग यह पीढ़ियों तक नहीं चलता है पीढ़ियों से मतलब आगे आने वाली संतानों से है।
टी.बी. दुनिया की सबसे बड़ी दूसरी बीमारी है जिससे हर साल कई लोगों की मौत होती है। आंकड़ों के हिसाब से, 2015 में, दुनिया भर में 1 करोड़ 80 लाख लोग टीबी जैसी घातक बीमारी की चपेट में आकर मृत्यु को प्राप्त हो गए थे। व्यक्ति के संपर्क में आने से होती है। इसके अलावा एचआईवी के मरीजों, अस्पतालों में काम करने वाले लोगों और सिगरेट पीने वाले लोगों को इसका खतरा अधिक रहता है।
टी बी के लक्षण | TB symptoms in hindi
- 3 हफ्ते से भी ज्यादा खांसी होना
- छाती में दर्द होना
- फेफड़ों में इन्फेक्शन होना
- बलगम के साथ खून आना
- बुखार जो आमतौर पर शाम के समय बढ़ता है
- वजन का अचानक घटना
- भूख ना लगना
- अगर 2 हफ्ते या 3 हफ्ते से अधिक खांसी आती है तो डॉक्टर से जांच अवश्य करानी चाहिए। लगातार बुखार बना रहना भी टीबी का ही एक लक्षण है
फेफड़ों की टीबी सबसे सामान्य टीबी होती है लेकिन यह ब्रेन (मस्तिष्क), यूट्रस (गर्भाशय), लिवर (यकृत), किडनी (गुर्दे), मुंह, गला हड्डी, घुटना आदि शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है।
टी बी रोग कैसे फैलता है? | How is TB disease spread in hindi
छींकने और खांसने के दौरान मुंह और नाक से जो बूँदें निकलती हैं उनसे यह इंफेक्शन फैलता है।
छय रोग यह बीमारी पीढ़ियों तक चलने वाली नहीं है पीढ़ी से मतलब आगे आने वाली संतानों से है। यह रोग शरीर के जिस भाग में होता है उस भाग को पूरी तरह नष्ट कर देता है।
उदाहरण के लिए-
- यदि फेफड़ों (गुर्दों) में टीबी रोग है तो वह पूरे गुर्दों को नष्ट कर देता है।
- यूट्रस में है तो इनफर्टिलिटी (बांझपन) की वजह बनती है।
- यदि टी.बी. शरीर की किसी भी हड्डी में है तो उस हड्डी को गला देती है।
- ब्रेन (मस्तिष्क) में है तो मरीज को दौरे पड़ सकते हैं।
- यदि यकृत (लिवर) में है तो यह पूरे यकृत को ही खराब कर देता है।
यह भी पढ़ें –
क्या ग्लूकोज़ के बारे में आप ये जानते हैं?
टी बी के प्रकार और टीबी रोग की पहचान कैसे करें? | Type of TB and how to identify TB disease in hindi
पेट का टीबी
पेट में होने वाले टीबी को पहचानना मुश्किल होता है क्योंकि यह तब पता चलता है जब पेट में गांठ पड़ चुकी होती है।
यह पेट का टीबी रोग पेट के अंदर तकलीफ देना शुरू कर देता है। इसके लक्षण सामान्य ही होते हैं जैसे बार-बार दस्त लगना (पेट खराब होना), पेट में दर्द होना। लोग इसे सामान्य समझकर नजरअंदाज करते रहते हैं और यह रोग अंदर ही अंदर बढ़ता रहता है।
हड्डियों का टीबी रोग
इसकी पहचान आसानी से हो जाती है क्योंकि इसमें हड्डियों में घाव हो जाते हैं जो इलाज से ठीक हो पाते हैं।
शरीर में फोड़े फुंसियां होना भी हड्डियों के ही टीबी रोग का लक्षण है। इसमें हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और मांसपेशियों पर भी गहरा प्रभाव पड़ता है।
टी बी रोग के कारण | Reason of TB in hindi
स्वस्थ व्यक्ति भी आसानी से इस गंभीर बीमारी का शिकार बन सकता है क्योंकि टीबी से संक्रमित रोगियों व व्यक्तियों के कफ, छींक और उनके द्वारा छोड़ी गई सांस से भी बैक्टीरिया फैल जाते हैं जो कई घंटों तक हवा में रहते हैं।
टीबी रोग के बैक्टीरिया सांस के द्वारा फेफड़ों तक पहुंचते हैं और वह कई गुना बढ़ जाते हैं। ये फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं जिससे हमारे फेफड़े कमजोर हो जाते हैं और शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता नहीं रह जाती है।
टी बी रोग की जांच | Test for TB in hindi
- छाती का एक्स-रे
- बलगम की जांच
- स्किन का टेस्ट
आधुनिक युग में आधुनिकीकरण के माध्यम से आईजीएम हिमोग्लोबिन (IgM Haemoglobin) जांच करके भी टीबी का पता लगाया जाता है। बहुत ही कम लोगों को यह पता होगा कि सरकार इसकी निशुल्क जांच कराती है। गांव में बहुत ही कम लोगों के पास जानकारी उपलब्ध हो पाती है जिससे लोग इलाज नहीं करवा पाते हैं अतः हमें अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करना चाहिए। इससे गांवों में रह रहे लोगों को भी सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में पता चल सकेगा।
टी बी से बचाव के उपाय | Prevention from TB in hindi
- दो से तीन हफ्तों की खांसी को बिल्कुल भी नजरअंदाज ना करें बल्कि समय रहते किसी डॉक्टर से संपर्क करें।
- अगर आप किसी टीबी पीड़ित व्यक्ति से मिलने जा रहे हैं तो वापस आकर अच्छी तरह हाथ पैर धोकर कुल्ला करें।
- यदि आपकी जानकारी में है कि सामने वाले व्यक्ति को टीबी है तो उसके पास जाने से बचें यदि जाना जरूरी है तो मास्क लगाए बिना ना जाए और उसकी वस्तुओं का इस्तेमाल बिल्कुल भी ना करें क्योंकि एक संक्रामक बीमारी है।
- आपको अपनी सुरक्षा स्वयं करनी होगी।
- यदि आपके आसपास कोई भी बहुत देर तक खांस रहा है अपने मुंह पर रुमाल या मास्क लगाएं और तुरंत उस जगह से हट जाएं।
- इस रोग से बचाव के लिए पौष्टिक आहार जिनमें विटामिंस, मिनरल्स, कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर आदि हो उनका सेवन करें उदाहरण के लिए दूध, फल, हरी सब्जियां, दालें इत्यादि।
- मरीज को सार्वजनिक स्थानों का कम से कम उपयोग करना चाहिए। पीड़ित व्यक्ति को जगह जगह पर नहीं थूकना चाहिए।
- टी.बी. के इलाज के लिए जल्द से जल्द डॉक्टर से परामर्श लेकर इलाज शुरू कर देना चाहिए जो बहुत ही आसानी से वायु या सांस के द्वारा फैलता है।
- टीबी के टेस्ट के लिए मरीज को बलगम या एक्स-रे कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बायोप्सी की मदद से टी.बी के बैक्टीरिया का पता चल जाएगा।
पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम के जिला समन्वयक सत्येंद्र कुमार ने बताया कि ट्यूबरक्लोसिस स्किन टेस्ट को मोटेक्स टेस्ट के नाम से भी जाना जाता है।
क्या खाना चाहिए और टी बी रोगी का आहार क्या होता है ? | What should be eaten and what is the diet of TB patient in hindi
टीबी के मरीज को नियमित रूप से दवाई दी जाती है जो उन्हें खानी पड़ती हैं। ये हाई एमजी की होती हैं। शरीर को पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन मिले इसके लिए टी.बी मरीजों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा फूडबॉक्स दिया जाता है जिसने सोयाबीन, मूंगफली दाना और दूध पाउडर होता है क्योंकि मरीज की दवाएं हार्ड होती है ।
और भी पढ़ें –
- पुरुषों में एचआईवी के लक्षण, कारण और निवारण
- डेंगू बुखार क्या है? जानिए डेंगू के लक्षण,कारण और निवारण
डॉट्स | DOTS in hindi
डॉट्स क्या है? आप सभी के मन मस्तिष्क में यह सवाल जरूर आया होगा। तो चलिए हम आपको डॉट्स के बारे में जानकारी देते हैं।
यह टीबी के इलाज का एक अभियान है। इसके अंतर्गत टी.बी की मुफ्त जांच से लेकर मुफ्त इलाज तक शामिल है। इस अभियान में हेल्थ वर्कर मरीज को अपने सामने दवा देता है ताकि मरीज दवा लेना न भूले।
हेल्थ वर्कर मरीजों की रविवार को काउंसलिंग भी करते हैं। इसमें 95 फ़ीसदी तक सफल इलाज होता है।
टी बी से जुड़े मिथ | TB myths in hindi
- टीबी ठीक नहीं होती और लौट आती है! ये एक मिथ्य है। टी.बी दोबारा तभी होती है जब उसका इलाज बीच में ही छोड़ दिया जाए।
- लोगों का मानना है कि टी.बी जैसी बीमारी सिर्फ गरीब लोगों में ही होती है। यह बिल्कुल अनुचित है क्योंकि कोई भी बीमारी धर्म, जाति, रुतबा या लोगों को देखकर नहीं होती। यह किसी को भी हो सकती है। जिन लोगों की इम्यूनिटी कमजोर होती है वे इस बैक्टीरिया की चपेट में जल्दी आ जाते हैं।
- एक मिथ्य यह भी है कि सरकारी दवाई असरदार नहीं होती। डॉट्स प्रोग्राम में प्राइवेट अस्पतालों की तरह ही सफल इलाज होता है। जो दवाएं मिलती हैं उनका कोर्स पूरा करना चाहिए। प्रथम चरण की टीबी के ठीक होने में 95 फ़ीसदी चांस होते हैं लेकिन दवा ना खाने से यह दूसरे चरण पर पहुंच जाती है तो ठीक होने के चांस 60 फ़ीसदी ही रह जाते हैं।
विशेष– किसी भी बीमारी के इलाज के लिए आसान टिप्स और घरेलू उपाय उपलब्ध होते हैं। हम इनका पालन कर सकते हैं लेकिन हमें ये ध्यान रखना चाहिए कि ये इलाज वास्तव में सही माध्यम से ही उपलब्ध कराए गए हों।
बेहतर यही है कि किसी भी उपाय को अपनाने से पहले उसका सत्यापन अवश्य करें। इसी के साथ साथ यदि आपको किसी प्रकार की एलर्जी है या आपका किसी प्रकार का कोई मेडिकल ट्रीटमेंट चल रहा है तो ऐसे में किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टरी परामर्श अत्यंत आवश्यक है।
निष्कर्ष | Conclusion
इस लेख में हमने टीबी के के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी देने की कोशिश की है जो आपके लिए फायदेमंद साबित होगी। हम आशा करते हैं यह लेख आपको पसंद आया होगा।
लेख से संबंधित सवालों और सुझावों को आप कमेंट बॉक्स में लिखकर हमसे शेयर कर सकते हैं।