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मूड डिसऑर्डर क्या है? जाने इसके बारे में

मूड डिसऑर्डर क्या है? जानें इसके बारे में

इस ब्लॉग में पढेंगे “मूड डिसऑर्डर क्या है? जानें इसके बारे में

मूड डिसऑर्डर क्या है? / Mood disorder kya hai?

मूड डिसऑर्डर एक मानसिक बीमारी है। यह एक ‌ऐसा रोग है जो ज्यादातर युवा अवस्था में होती है। 13-14 साल की उम्र के बाद से यह बीमारी बहुत ज्यादा देखने में आती है। इस बीमारी से पुरुष और महिला दोनों पीड़ित हो सकते हैं।

इस मानसिक रोग में व्यक्ति का संवेग (Impulse) , भाव और उसकी मानसिक दशाओं में इतना उतार-चढ़ाव होता है कि वह अपनी सामान्य जीवनशैली को सही ढंग से नहीं जी पाता। मूड डिसऑर्डर के कारण उसकी सामाजिक और कारोबारी जिंदगी में बहुत सी रुकावटें और परेशानी पैदा हो जाती हैं। इसीलिए उसे डिप्रेशन रहना शुरू हो जाता है। डिप्रेशन के कारण ही मूड डिसऑर्डर हो जाता है। इसीलिए रोगी का सामान्य व्यवहार बुरी तरह से प्रभावित होता है। 

जब भी आप किसी भी व्यक्ति के अंदर मूड डिसऑर्डर देखें तो तुरंत उसका इलाज कराएं और उसे किसी चिकित्सक के पास ले जाएं अन्यथा बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है।

मूड डिसऑर्डर कितने तरह के होते हैं? / Mood disorder kitne tarah ke hote hain?

मूड डिसऑर्डर को कई नामों से जाना जाता है। डीएसएम- 4 -टीआर के मुताबिक, तीन तरह के मूड डिसऑर्डर के बारे में बताया गया है।

विषादी विकृति या एकधु्वीय विकृति (depression, sadness and deep feeling of loneliness) – इसमें व्यक्ति को बहुत ज्यादा डिप्रेशन होता है। वह बहुत चिंतित रहता है। हर समय उदास रहता है। उसे भूख भी सही से नहीं लगती, और ना सही ढंग से नींद आती है। उसके शरीर का वजन कम होने लगता है।

द्विधृ्वीय विकृति या उन्मादी विषादी विकृति (bipolar disorder)- इसमें व्यक्ति के अंदर बार-बार विषाद (उदासी) और उन्माद (पागलपन) जैसी दो अवस्थाएं देखने को मिलती हैं। इसीलिए इसको उन्मादी विषाद विकृति कहा जाता है।

अन्य मनोदशा विकृति (mood swing)- इसमें ऐसी मनोदशा या विकृतियाों को रखा गया है जो शारीरिक और मानसिक विकृतियों से पैदा होती हैं जैसे कैंसर, मधुमेह, दिल से संबंधित बीमारियां आदि।

डब्ल्यूएचओ (World Health Organisation) ने 1991 में इस बीमारी के नाम को संशोधित किया। जिसे सबसे पहले अंतरराष्ट्रीय रोग वर्गीकरण दसवीं संस्करण ICD-10 में मूड डिसऑर्डर के रूप में जाना गया और फिर मैनिएक अवसाद (maniac depression) के रूप में भी। 

मूड डिसऑर्डर को कई और नामों से भी जाना जाता है जैसे मैनिएक डिसऑर्डर, एंग्जाइटी डिसऑर्डर, बाइपोलर डिसऑर्डर आदि तथा इन जैसे कई तरीके के मूड डिसऑर्डर पर भी मूड डिसऑर्डर लागू होता है। 

बाईपोलर डिसऑर्डर को पहले मैनिएक डिसऑर्डर के नाम से जाना जाता था। इस रोग में मूड कभी हद से ज्यादा खुशगवार हो जाता है और कभी बहुत ज्यादा उदास। मूड डिसऑर्डर में व्यक्ति के मूड में वक्त वक्त पर उतार चढ़ाव होते रहते हैं। जिसके कारण व्यक्ति के शरीर में शक्ति की कमी आ जाती है, और उसके अंदर काम करने की सलाहियत (योग्यता) कम हो जाती है। 

वह अपनी रोजमर्रा की जिंदगी के कामों को सही से नहीं कर पाता लेकिन ऐसा हर वक्त नहीं रहता। यह बीमारी कुछ दिन के बाद अपने प्रभाव को जाहिर करती है। कभी यह एक हफ्ते में और कभी एक महीने तक इन हालात का सामना करना पड़ सकता है।

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मूड डिसऑर्डर के कारण / Mood disorder ke kaaran

अभी तक किसी भी शोध में इसकी असली वजह के बारे में नहीं पता चल पाया है परंतु कई अध्ययनों के बाद यह बताया गया है कि मूड डिसऑर्डर वंशानुगत (hereditary) भी हो सकते हैं। यह मानसिक रोग खतरनाक भी है इसलिए वक्त पर इसका इलाज कराना अनिवार्य है अन्यथा रोगी के लिए बहुत ज्यादा परेशानी हो सकती है।

व्यक्ति के मस्तिष्क में बहुत सी तब्दीलियां आती हैं। कई बार तो ऐसा होता है कि व्यक्ति खुद का मुकाबला दूसरों से करता है। यह एक ऐसी आदत है जो दुनिया में ज्यादातर लोगों में पाई जाती है। व्यक्ति खुद का मुकाबला खासकर आदतें, रवैया, व्यक्तित्व, पर्सनालिटी, खूबसूरती को लेकर करता है। कई बार तो सामाजिक और पैसों की हालत को बुनियाद बनाकर मुकाबला किया जाता है। यही अजीबो गरीब आदतें और रवैया इंसान में आत्मविश्वास की कमी पैदा करता है। व्यक्ति खुद को दूसरों से कम आंकने लगता है, और यही कारण है मूड डिसऑर्डर का।

कई बार तो ऐसा होता है कि व्यक्ति दवाइयों की लत लगा लेता है। जब व्यक्ति बहुत ज्यादार चिंता करता है और दबाव महसूस करता है या उदास होता है तो  दवाइयों को इस्तेमाल करता है। जिसके कारण ऐसा मानसिक रोग जन्म ले लेता है।

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मूड डिसऑर्डर का उपचार / Mood disorder ka upchaar

निष्कर्ष / Conclusion

आज कल की दुनिया में तकरीबन हर दूसरा इंसान ही किसी ना किसी तरीके की डिप्रेशन में अपनी जिंदगी व्यतीत करता है जो गुस्सा, चिड़चिड़ापन और मायूसी की शक्ल में जाहिर होता है। यह एक साधारण बात है परंतु जब यही चीजें अपनी चरम सीमा तक पहुंच जाती हैं और वह व्यक्ति का व्यक्तित्व बन जाता है तो यह खराब होता है। वह एक तरीके का मानसिक रोग लगने लगता है जिसको मूड डिसऑर्डर कहते हैं। 

इस रोग से पीड़ित लोग उम्मीदी, बेचैनी और शर्मिंदगी का शिकार हो जाता है। यह रोग डिप्रेशन से अलग और उससे कहीं ज्यादा खतरनाक है। जरूरत से ज्यादा सोचना और हद से ज्यादा पछताना इस बीमारी का एक खुला हुआ लक्षण है। 

इस बीमारी का सामना जिंदगी के किसी भी हिस्से में हो सकता है और इस बीमारी से मनुष्य और स्त्रियां दोनों प्रभावित हो सकती हैं। इसीलिए वक्त पर इसका इलाज करवाएं। बहुत सी दवाएं भी ऐसे रोगियों को दी जाती हैं जिससे उनका मूड डिसऑर्डर खत्म हो सके। रोगियों को सही करने के लिए उनके करीबी रिश्तेदार उनके घर के लोग और दोस्तों का व्यक्तित्व बहुत अहमियत रखता है।

हर साल 30 मार्च को राष्ट्रीय बाइपोलर डे (bipolar day) पूरी दुनिया में मनाया जाता है। इस दिन को पूरी दुनिया में मनाने का मकसद यह है कि इस बीमारी के बारे में लोगों में जागरूकता और जानकारी पैदा हो सके। दुनिया में तकरीबन 40 मिलियन लोग इस बीमारी से पीड़ित है। बहुत लोगों को तो उनकी इस बीमारी के बारे में पता भी नहीं है परंतु बहुत से लोग इस बीमारी की जांच करवा कर उसका इलाज करवा रहे हैं और वह किसी हद तक सही भी हो गए हैं।

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